कपूर को घर में नित्य जलाना बहुत हितकर है। कपूर दहन से उत्पन्न वाष्प में वातावरण को शुद्ध करने की अद्भुत क्षमता होती है। इसको नित्य जलाने से ऋणावेशित आयन्स घर में बढ़ते हैं जिससे बीमारियां घर में आसानी से आक्रमण नहीं करती। घर में शान्ति बनी रहती है। दुःस्वपन नहीं आते। देवदोष एवं पितृदोषों का शमन होता है। भोजपत्र पर देशी कपूर रखकर किसी प्लेट में जलाना चाहिए और जल जाने के पश्चात् इसकी राख को किसी गमले में डाल देना चाहिए। ऐसा करने से उस घर में सुख-शान्ति रहती है, निवासियों को कोई भयानक रोग नहीं लगता तथा घर में समृद्धि आती है।
Sunday 18 December 2016
सुख समृद्धि देने के साथ भयानक रोगों से भी रक्षा करता है कपूर का यह सरल उपाय
कपूर को घर में नित्य जलाना बहुत हितकर है। कपूर दहन से उत्पन्न वाष्प में वातावरण को शुद्ध करने की अद्भुत क्षमता होती है। इसको नित्य जलाने से ऋणावेशित आयन्स घर में बढ़ते हैं जिससे बीमारियां घर में आसानी से आक्रमण नहीं करती। घर में शान्ति बनी रहती है। दुःस्वपन नहीं आते। देवदोष एवं पितृदोषों का शमन होता है। भोजपत्र पर देशी कपूर रखकर किसी प्लेट में जलाना चाहिए और जल जाने के पश्चात् इसकी राख को किसी गमले में डाल देना चाहिए। ऐसा करने से उस घर में सुख-शान्ति रहती है, निवासियों को कोई भयानक रोग नहीं लगता तथा घर में समृद्धि आती है।
क्या सच में छींक आना होता है अशुभ? छींक से जुड़ी रोचक जानकारी
प्राचीन समय से ही सामाजिक जीवन में अनेक तरह की धारणाएं एवं मान्यताएं प्रचलन में चली आ रही हैं। लोक व्यवहार में इनको शगुन-अपशगुन से जोड़ कर देखा जाता है। छींक से जुड़ी ऐसी अनेक मान्यताएं हमारे समाज में प्रचलित हैं। उदाहरण के लिए घर से निकलते समय छींक आना अपशगुन माना जाता है। छींक से सम्बन्धित कुछ मान्यताएं इस प्रकार हैं---
1- घर से निकलते समय कोई सामने से छींकता है, तो कार्य में बाधा आती है। लेकिन यदि एक से अधिक बार छींकता है, तो कार्य सरलता से सम्पन्न हो जाता है।
2- कोई वस्तु क्रय करते समय यदि छींक आ जाय, तो खरीदी गई वस्तु से लाभ होता है।
3- सोने से पूर्व और जागने के तुरन्त बाद छींक की ध्वनि सुनना अशुभ माना जाता है।
4- यदि कोई व्यक्ति दिन के प्रथम प्रहर में पूर्व दिशा की ओर छींक की ध्वनि सुनता है, तो उसे अनेक कष्ट झेलने पड़ते हैं।
5- यदि कोई व्यक्ति दिन के दूसरे प्रहर में पूर्व दिशा की ओर छींक की ध्वनि सुनता है, तो उसे विभिन्न देह कष्ट मिलते हैं।
6- यदि कोई व्यक्ति दिन के तीसरे प्रहर में पूर्व दिशा की ओर छींक की ध्वनि सुनता है, तो उसे दूसरे के द्वारा स्वादिष्ट भोजन की प्राप्ति होती है।
7- यदि कोई व्यक्ति दिन के चैथे प्रहर में पूर्व दिशा की ओर छींक की ध्वनि सुनता है, तो उसका किसी मित्र से मिलन होता है।
8- किसी प्रवासी मित्र या रिस्तेदार के जाते समय कोई उसके बायीं ओर छींकता है, तो यह अपशगुन माना जाता है। यदि अति आवश्यक नहीं हो तो इस समय यात्रा को टाल देना चाहिए।
प्रातः उठते ही बोलें श्री गणेश जी के यह १२ नाम मिलेगी हर काम में सफलता
प्रातः उठते ही सुबह का आरम्भ ईश्वर के ध्यान से करना चाहिए उसमें भी भगवान् श्री गणेश जी प्रथम पूज्य और सभी तरह का मंगल करने वाले और विघ्न हरने वाले माने गए हैं अतः प्रातः उठते ही श्रद्धा पूर्वक भगवान् श्री गणेश का ध्यान करके भगवान् श्री गणेश के १२ नाम इस प्रकार लेने चाहिए :-
गणपतिविघ्रराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
द्वेमातुरथ हेरम्ब एकदन्ती गणाधिपः।।
विनायकष्चारूकर्ण पषुपालो भवात्मजः।
द्वाद्वषैतानि नामानि प्रातरूत्थाय यःपठेत्।।
अर्थ :-
गणपति, विध्नराज, लम्बतुण्ड, गजानन, द्वैमातुर, हेरम्ब, एकदन्त, गणाधिपति, विनायक, चारूकर्ण, पषुपालक एवं भावात्मज इन १२ नामों को सुबह उठकर बोलने अथवा स्मरण करने पर मनचाही कामना और मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।
आय का स्थाई स्रोत पाने और आय में निरंतर वृद्धि के लिए सरल उपाय
आधुनिक युग आर्थिक युग है। आज जिस तरह मंहगाई बढ़ रही है, उसकी तुलना में इनकम काफी कम है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनकी आय का कोई निश्चित स्त्रोत नहीं होता। ऐसी स्थिति में जीवन-यापन और गुजर-बसर कर पाना एक कठिन समस्या बन जाती है।
यदि इस उपाय को विधि-विधान पूर्वक किया जाय तो आय का स़्त्रोत स्थायी हो जाएगा और उसमें लगातार बढ़ोतरी होती रहेगी।
पांच कमल बीज और पांच लाल फूलों को एक पीले कागज पर रखें तथा कमल के फूल पर कंुकुम से 21 बार यह मंत्र लिखें--
ऊॅ श्री शिवत्वं श्री ऊॅ
इस कागज पर कमल बीजों और फूलों को लपेटकर बुधवार को रात्रि के समय कसी तिराहे पर डाल दें।
इस उपाय को करने से बहुत जल्दी आपकी इनकम का स्त्रोत स्थायी हो जाएगा और उसमें लगातार वृद्धि होगी।
Thursday 15 December 2016
धन के आकर्षण के लिए अपनाएं यह छह सरल टिप्स
धन जीवन की सबसे बड़ी आवष्यता होती है। इस जगत में भौतिक सुविधा के संसाधन धन के द्वारा ही जुटाये जा सकते हैं। धन प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्ति इन वास्तु टिप्स को अपनाकर धन आकर्षित कर सकते हैं----
1- घर में धन आकर्षित करने के लिए घर के मुख्य द्वार को स्वच्छ एवं सजाकर रखें। यदि संभव हो तो घर के मुख्य द्वार का रंग इसके अगल-बगल की दीवारों के रंगों से अलग हटकर किया जा सकता है। इससे मुख्य द्वार का आकर्षण बढ़ता है।
2- खिड़कियों में क्रस्टल बाॅल लगाने से ऊर्जा उत्तेजित होती है। जब सूर्य का प्रकाष उन पर पड़ता है, तो ये सुन्दर इन्द्रधनुष का निर्माण करती हैं जिससे घर में वैभव एवं समृद्धि आती है।
3- अपने घर, आॅफिस या प्रतिष्ठान में एक ऐसा दर्पण लगाएं जिससे आपके लाॅकर अथवा कैषबाॅक्स प्रतिबिम्बित हों। यह संकेतात्मक रूप से अवसरों एवं धन को कई गुना बढ़ाता है।
4- फिष एक्वेरियम धन आकर्षित करते हैं। इसे घर की पूर्वोत्तर दिषा में लगाएं। एक्वेरियम में कम से कम नौ मछलियां होनी चाहिए। इनमें आठ गोल्ड फिष और एक काली मछली होनी चाहिए। ये सभी मछलियां जीवंत, सुन्दर एवं स्वस्थ होनी चाहिए क्योंकि उनका निरंतर गतिमान रहना ध्न को भी गतिमान रखता है। ध्यान रहे कि एक्वेरियम के पानी को साफ करते रहना चाहिए।
5- भवन या आॅफिस के परिसर में एक बर्ड फीडर या बर्ड बाथ रखें जिससे वन्य प्राणी आकर्षित हों। वन्य प्राणी अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं तथा घर की हर दिषा में समृद्धि आकर्षित करते हैं।
6- यदि आपको धनाभाव महसूस हो रहा हो तो घर के बाएं कोने में कोई भारी एवं ठोस वस्तु रखनी चाहिए।
आकर्षण शक्ति में वृद्धि करके किसी को भी सम्मोहक बनाने वाली माला - जरूर धारण करें
घर हो य समाज, व्यापार हो या जॉब हर व्यक्ति चाहता है की प्रत्येक व्यक्ति उससे प्रभावित रहे और हर कोई उसी का कहना माने या यों कहें की हर कोई सभी लोगों को सम्मोहित या आकर्षित रखना चाहता है यदि आप भी ऐसा करना चाहते हैं तो आप बैजयंति की माला धारण करें क्योंकि इसमें प्रबल आकर्षण शक्ति उत्पन्न करने की छमता होती है। मान्यता है कि बैजयंति माला धारण करने से शत्रु भी मित्रवत हो जाते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने यह माला पहनी हुई थी और उन्हें यह अतिप्रिय थी व उनमें सारे जगत को मोहित करने की अद्भुत क्षमता भी थी। यह माला आपको आसानी से पंसारी की दुकान पर मिल जायगी। ध्यान रखें माला किसी शुभ तिथि और मुहर्त में धारण करें तो यह अच्छे परिणाम अवश्य ही देगी।
Wednesday 14 December 2016
विंड चाइम से चमकाएं किस्मत - धन - दौलत और तरक्की पाएं
फेंगशुई में विभिन्न दिशाओं से अपेक्षित लाभ प्राप्त करने के लिए विभिन्न विंड चाइम्स अथवा पवन घंटियों के उपयोग की सलाह दी गई हे। इन विंड चाइम्स में रॉड्स की संख्या अलग-अलग दिशाओं हेतु अलग-अलग निर्धारित की गई है। साथ ही, फेंगशुई में यह भी बताया गया है कि किस दिशा में किस तत्व से बनी विंड चाइम लटकानी चाहिए।
फेंगशुई की धारणा अनुसार उत्तर दिशा, पश्चिम दिशा एवं उत्तर-पश्चिम दिशाओं में धातु से बनी विंड चाइम लटकाना उचित रहता है। घर के केंद्र में एवं उत्तर-पूर्व दिशा में सैरैमिक से निर्मित विंड चाइम लटकाना उचित बताया गया है। घर की पूर्व, दक्षिण-पूर्व दिशा एवं दक्षिण दिशा में लकड़ी की विंड चाइम का प्रयोग उचित बताया गया है। धातु से निर्मित विंड चाइम का प्रयोग शौचालय, रसोईघर एवं शयन कक्ष में वर्जित है।
फेंगशुई की धारणा अनुसार यदि घर की दक्षिण दिशा में लकड़ी से निर्मित नौ रॉड्स वाली विंड चाइम लटकाई जाए तो ऐसा करने से ख्याति की प्राप्ति होती है।
किसी भी भवन अथवा परिसर की उत्तर दिशा कैरियर की दिशा है। फेंगशुई की धारणा अनुसार यदि इस दिशा में छह खोखली रॉड्स वाली धातु की विंड चाइम लटकाई जाए तो ऐसा करने से कैरियर सम्बन्धी सफलता प्राप्त होती है।
फेंगशुई की धारणा अनुसार यदि घर की पश्चिम दिशा में धातु की बनी हुई सात खोखली रॉड्स वाली विंड चाइम लटकाई जाए तो ऐसा करने से बच्चों के स्वास्थ्य एवं भविष्य के लिए उत्तम रहता है।
घर, कार्यालय अथवा कमरे की उत्तर-पश्चिमी दिशा में धातु की छह या आठ खोखली रॉड्स वाली विंड चाइम लटकाने से फेंगशुई की धारणा अनुसार मित्रों से सहायता मिलती है।
फेंगशुई की धारणा अनुसार घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में क्रिस्टल से बनी नौ खोखली रॉड्स वाली विंड चाइम लटकाने से प्रसिद्धि बढ़ती है।
Thursday 8 December 2016
ब्रम्हचारी हनुमान जी के विवाह और पुत्र के जन्म की अद्भुत कथा
पाराशर संहिता के अनुसार हनुमानजी ने सूर्य देव को अपना गुरु बनाया था। सूर्य देव के पास 9 दिव्य विद्याएं थीं। इन सभी विद्याओं का ज्ञान बजरंग बली प्राप्त करना चाहते थे। सूर्य देव ने इन 9 में से 5 विद्याओं का ज्ञान तो हनुमानजी को दे दिया, लेकिन शेष 4 विद्याओं के लिए सूर्य के समक्ष एक संकट खड़ा हो गया।
शेष 4 दिव्य विद्याओं का ज्ञान सिर्फ उन्हीं शिष्यों को दिया जा सकता था जो विवाहित हों। हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी थे, इस कारण सूर्य देव उन्हें शेष चार विद्याओं का ज्ञान देने में असमर्थ हो गए। इस समस्या के निराकरण के लिए सूर्य देव ने हनुमानजी से विवाह करने की बात कही। पहले तो हनुमानजी विवाह के लिए राजी नहीं हुए, लेकिन उन्हें शेष 4 विद्याओं का ज्ञान पाना ही था। इस कारण हनुमानजी ने विवाह के लिए हां कर दी।जब हनुमानजी विवाह के लिए मान गए तब उनके योग्य कन्या की तलाश की गई और यह तलाश खत्म हुई सूर्य देव की पुत्री सुवर्चला पर। सूर्य देव ने हनुमानजी से कहा कि सुवर्चला परम तपस्वी और तेजस्वी है और इसका तेज तुम ही सहन कर सकते हो। सुवर्चला से विवाह के बाद तुम इस योग्य हो जाओगे कि शेष 4 दिव्य विद्याओं का ज्ञान प्राप्त कर सको।
सूर्य देव ने यह भी बताया कि सुवर्चला से विवाह के बाद भी तुम सदैव बाल ब्रह्मचारी ही रहोगे, क्योंकि विवाह के बाद सुवर्चला पुन: तपस्या में लीन हो जाएगी। यह सब बातें जानने के बाद हनुमानजी और सुवर्चला का विवाह सूर्य देव ने करवा दिया। विवाह के बाद सुवर्चला तपस्या में लीन हो गई और हनुमानजी से अपने गुरु सूर्य देव से शेष 4 विद्याओं का ज्ञान भी प्राप्त कर लिया। इस प्रकार विवाह के बाद भी हनुमानजी ब्रह्मचारी बने हुए हैं।
कैसे बने पिता :-
हनुमान वैसे तो ब्रह्मचारी थे फिर भी वो एक पुत्र के पिता बने थे हालांकि यह पुत्र वीर्य कि जगाह पसीनें कि बूंद से हुआ था। कथा कुछ इस प्रकार है जब हनुमानजी सीता की खोज में लंका पहुंचे और मेघनाद द्वारा पकड़े जाने पर उन्हें रावण के दरबार में प्रस्तुत किया गया। तब रावण ने उनकी पूंछ में आग लगवा दी थी और हनुमान ने जलती हुई पूंछ से लंका जला दी। जलती हुई पूंछ की वजह से हनुमानजी को तीव्र वेदना हो रही थी जिसे शांत करने के लिए वे समुद्र के जल से अपनी पूंछ की अग्नि को शांत करने पहुंचे। उस समय उनके पसीने की एक बूंद पानी में टपकी जिसे एक मछली ने पी लिया था। उसी पसीने की बूंद से वह मछली गर्भवती हो गई और उससे उसे एक पुत्र उत्पन्न हुआ। जिसका नाम पड़ा मकरध्वज। मकरध्वज भी हनुमानजी के समान ही महान पराक्रमी और तेजस्वी था उसे अहिरावण द्वारा पाताल लोक का द्वार पाल नियुक्त किया गया था। जब अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण को देवी के समक्ष बलि चढ़ाने के लिए अपनी माया के बल पर पाताल ले आया था तब श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराने के लिए हनुमान पाताल लोक पहुंचे और वहां उनकी भेंट मकरध्वज से हुई। तत्पश्चात मकरध्वज ने अपनी उत्पत्ति की कथा हनुमान को सुनाई। हनुमानजी ने अहिरावण का वध कर प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया और मकरध्वज को पाताल लोक का अधिपति नियुक्त करते हुए उसे धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
कुंडली में सूर्य और चंद्रमा की शुभता पाने और दुष्प्रभाव को समाप्त करने का सरलतम उपाय
चन्द्रमा को माता का कारक और सूर्य को पिता का कारक माना जाता है अतः यदि आप सूर्य और चन्द्रमा ग्रह को मजबूत करके इनके शुभ फल प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको अपने माता पिता का न तो कभी अपमान करना चाहिए न ही उन्हें किसी प्रकार का मानसिक सा शारीरिक कष्ट देना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से सूर्य और चंद्रमा अशुभ प्रभाव देना आरम्भ कर देते हैं जिससे जातक को अनेकानेक कष्टों का सामना करना पड़ता है। यदि आपकी कुंडली में सूर्य या चन्द्रमा अशुभ प्रभाव दे रहे हों या शुभ प्रभाव भी दे रहे हो तो भी माता पिता की सेवा और सम्मान करके इन ग्रहों की शुभता बढ़ाई जा सकती है। यदि आप नित्य माता पिता के चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद लेना आरम्भ कर दें तो आपकी उन्नति का मार्ग अवश्य ही प्रशस्त होगा इसमें कोई संदेह नहीं है। यह सबसे सरल उपाय करके देखें कुछ ही महीनों में आपको आपकी स्थिति में अंतर स्पष्ट नजर आयगा।
सावधान - बीमारियों को आमंत्रण देती हैं इस प्रकार रक्खी गयी दवाइयां
यदि आपके घर में कोई बीमार रहता है या नियमित रूप से दवाएं खाता है अथवा कोई बीमार होकर पुनः स्वस्थ तो हो गया है किन्तु उसकी दवाइयाँ बच गयी हैं तो ऐसी दवाइयों को यथा संभव घर में नहीं रखना चाहिए क्योंकि स्वस्थ होने के बाद बची दवाइयाँ घर में रखे रहने से पुनः बीमार होने के योग बनते हैं अतः बची दवाइयों को वापस कर देना चाहिए यदि यह संभव न हो या कोई व्यक्ति नियमित दवा खाता हो तो दवाओं को इधर उधर बिखरा कर नहीं रखना चाहिए हमेशा एक डब्बे में व्यवस्थित करके और डब्बे का ढक्कन बंद करके ही दावा को रखना चाहिए नहीं तो बीमारी आसानी से पीछा नहीं छोड़ती और घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है तथा अन्य लोगों के बीमार होने की संभावनाएं प्रबल होती हैं।
जानें राशि अनुसार शीघ्र प्रसन्न होने वाले महादेव को खुश करने के और मनचाहा फल पाने के विशेष उपाय
सभी देवताओं में भगवान शिव एक ऐसे देवता है जो अपने भक्तों की पूजा पाठ सेबहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है इसलिए इन्हें भोलेनाथ कहा जाता है और यही कारण था की असुर भी वरदान प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की तपस्या किया करते थे और उनसे मनचाहा वरदान प्राप्त कर लेते थे। आज हम आपको यहाँ पर राशि अनुसार, शिव पूजन के कुछ ऐसे आसान उपाय बता रहे है।
मेष- इस राशि का स्वामी मंगल है और मंगल का पूजन शिवलिंग रूप में ही किया जाता है। इस राशि के लोग शिवलिंग पर कच्चा दूध एवं दही अर्पित करें। साथ ही, भोलेनाथ को धतुरा भी अर्पित करें। कर्पूर जलाकर भगवान की आरती करें।
वृषभ- वृष राशि के लोग किसी भी शिव मंदिर जाएं और भगवान शिव को गन्ने के रस से स्नान करवाएं। इसके बाद मोगरे का ईत्र शिवलिंग पर अर्पित करें। अंत में भगवान को मिठाई का भोग लगाएं एवं आरती करें।
मिथुन- आप स्फटिक के शिवलिंग की पूजा करेंगे तो श्रेष्ठ रहेगा। यदि स्फटिक का शिवलिंग उपलब्ध न हो तो किसी अन्य शिवलिंग का पूजन किया जा सकता है। मिथुन राशि के लोग लाल गुलाल, कुमकुम, चंदन, ईत्र आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें। आक के फूल अर्पित करें। मीठा भोग लगाकर आरती करें।
कर्क- इन लोगों को अष्टगंध एवं चंदन से शिवजी का अभिषेक करना चाहिए। बैर एवं आटे से बनी रोटी का भोग लगाकर शिवलिंग का पूजन करें। शिवलिंग पर प्रतिदिन कच्चा दूध अर्पित करें और साथ ही जल भी चढ़ाएं।
सिंह- इस राशि के लोगों को फलों के रस एवं पानी में शकर घोलकर शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। साथ ही, शिवजी को आंकड़े के पुष्प अर्पित करें, मिठाई का भोग लगाएं। पुष्प के साथ ही बिल्व पत्र भी अर्पित करें।
कन्या- आप महादेव को बैर, धतुरा, भांग और आंकड़े के फूल अर्पित करें। साथ ही बिल्व पत्र पर रखकर नैवेद्य अर्पित करें। अंत में कर्पूर मिश्रित जल से अभिषेक कराएं। शिवजी के पूजन के बाद आधी परिक्रमा अवश्य करें। ऐसा करने पर बहुत ही जल्द शुभ फल प्राप्त होते हैं।
तुला- तुला राशि के लोग जल में तरह-तरह फूल डालकर उस जल से शिवजी का अभिषेक करें। इसके बाद बिल्व पत्र, मोगरा, गुलाब, चावल, चंदन आदि भोलेनाथ को अर्पित करें। अंत में आरती करें।
वृश्चिक- इन लोगों को शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। शहद, घी से स्नान कराने पश्चात पुन: जल से स्नान कराएं एवं पूजन कर आरती करें। लाल रंग के पुष्प अर्पित करें। पूजन के बाद मसूर की दाल का दान करें।
धनु- धनु राशि के लोग भात यानी चावल से शिवलिंग का श्रृंगार करें। पहले चावल को पका लें, इसके बाद पके हुए चावल को ठंडा करके शिवलिंग का श्रृंगार करें। सुखे मेवे का भोग लगाएं। बिल्व पत्र, गुलाब आदि अर्पित करके आरती करें।
मकर- आप गेंहू से शिवलिंग को ढंककर, विधिवत पूजन करें। पूजन-आरती पूर्ण होने के बाद गेंहू का दान जरूरतमंद लोगों को कर दें। इस उपाय से आपकी सभी समस्याएं समाप्त हो सकती हैं।
कुंभ- इन लोगों को यह उपाय करना चाहिए- सफेद-काले तिल को मिलाकर किसी ऐसे शिवलिंग पर चढाएं जो एकांत स्थान में स्थित हो। जल में तिल डालकर शिवलिंग को अच्छे से स्नान कराएं। इसके बाद काले-सफेद तिल अर्पित करें, पूजन के आद आरती करें।
मीन- इस राशि के लोगों को रात में पीपल के नीचे बैठकर शिवलिंग का पूजन करना चाहिए। इस समय ऊँ नम: शिवाय का पैंतीस (35) बार उच्चारण कर बिल्व पत्र चढ़ाएं तथा आरती करें। शिवलिंग पर चने की दाल चढ़ाएं और पूजन के बाद इसका दान करें
Thursday 1 December 2016
वाहन सुख पता करने का अत्यंत रोचक और सटीक सरल तरीका
ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्यायाधीश कहा गया है यानी मनुष्यों के अच्छे-बुरे कामों का फल शनिदेव ही उसे देते हैं। शनि चालीसा में शनिदेव के 7 वाहनों के बारे में बताया गया है। इसके अलावा शनिदेव के अन्य 2 वाहन भी हैं। शनिदेव के वाहनों की जानकारी इस प्रकार है-
वाहन प्रभु के सात सुजाना। दिग्गज, गर्दभ, मृग, अरुस्वाना।।
जम्बुक, सिंह आदि नखधारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी।।
अर्थात- शनिदेव के सात वाहन हैं- हाथी, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार, शेर, व गिद्ध।
इसके अलावा भैंसा व कौए को भी इनका वाहन माना गया है।
शनिदेव जिस वाहन पर सवार होकर किसी की राशि में प्रवेश करते हैं, उसी के अनुसार उसे अच्छे-बुरे फल की प्राप्ति होती है।
शनि के वाहन निर्धारण का तरीका –
व्यक्ति को अपने जन्म नक्षत्र की संख्या और शनि के राशि बदलने की तिथि की नक्षत्र संख्या दोनो को जोड कर योगफल को नौ से भाग करना चाहिए. शेष संख्या के आधार पर शनि का वाहन निर्धारित होता है । शनि का वाहन जानने की एक अन्य विधि भी प्रचलन मे है. इस विधि मे निम्न विधि अपनाते हैं:
शनि के राशि प्रवेश करने की तिथि संख्या+ ऩक्षत्र संख्या +वार संख्या +नाम का प्रथम अक्षर संख्या, सभी को जोडकर योगफल को 9 से भाग किया जाता है. शेष संख्या शनि का वाहन बताती है.
दोनो विधियो मे शेष 0 बचने पर संख्या नौ समझनी चाहिए।
शेष संख्या 1 होने पर शनि का वाहन गधा होता है।
शेष सँख्या 2 होने पर शनि का वाहन घोड़ा होता है।
शेष सँख्या 3 होने पर शनि का वाहन हाथी होता है।
शेष सँख्या 4 होने पर शनि का वाहन भैंसा होता है।
शेष सँख्या 5 होने पर शनि का वाहन सिंह होता है।
शेष सँख्या 6 होने पर शनि का वाहन सियार होता है।
शेष सँख्या 7 होने पर शनि का वाहन कौआ होता है।
शेष सँख्या 8 होने पर शनि का वाहन मोर होता है।
शेष सँख्या 9 होने पर शनि का वाहन हँस होता है।
विशेष – शेष संख्या 0 आने पर सँख्या 9 समझनी चाहिए- और शनि का वाहन हँस समझना चाहिए।
1.शनिदेव का वाहन गधा
जब शनिदेव का वाहन गधा होता है तो यह शुभ नहीं माना जाता है। तब जातक को शुभ फलों को मिलने में कमी होती है। जातक को इस स्थिति में कायों में सफलता प्राप्त करने में लिए काफी प्रयास करना होता है। यहां जातक को अपने कर्तव्य का पालन करना हितकर होता हैं।
2.शनिदेव का वाहन घोड़ा
यदि शनिदेव का वाहन घोड़ा हो तो जातक को शुभ फल मिलते हैं। इस समय जातक समझदारी से काम लें तो अपने शत्रुओं पर आसानी से विजय पा सकता है। घोड़े को शक्ति का प्रतिक माना जाता है, इसलिय व्यक्ति इस समय जोश और उर्जा से भरा होता है।
3.शनिदेव का वाहन हाथी
यदि जातक के लिए शनि का वाहन हाथी हो तो इसे शुभ नहीं माना जाता है। यह जातक को आशा के विपरीत फल देता है। इस स्थिति में जातक को साहस और हिम्मत से काम लेना चाहिए। परीत स्थिति में घबराना बिलकुल नहीं चाहिए।
4.शनिदेव का वाहन भैसा
यदि शनिदेव का वाहन भैसा हो तो जातक को मिला जुला फल प्राप्ति की उम्मीद होती है। इस स्थिति में जातक को समझदारी और होशियारी से काम करना ज्यादा बेहतर होता है। यदि जातक सावधानी से काम न ले तो कटु फलों में वृद्धि होने की संभावना बढ़ जाती है।
5.शनिदेव का वाहन सिंह
यदि शनि की सवारी सिंह हो तो जातक को शुभ फल मिलता है। इस समय जातक को समझदारी और चतुराई से काम लेना चाहिए इससे शत्रु पक्ष को परास्त करने में मदद मिलती है। इस अवधि में जातक को अपने विरोधियों से घबराने या ड़रने की कोई आवश्यकता नहीं है।
6.शनिदेव का वाहन सियार
यदि शनि का वाहन सियार हो तो जातक को शुभ फल नहीं मिलते है। इस दौरान जातक को अशुभ सूचनाएं अधिक मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती है। इस स्थिति में जातक को बहुत ही हिम्मत से काम लेना होता है।
7.शनिदेव का वाहन कौआ
यदि शनि का वाहन कौआ हो तो जातक को इस अवधि में कलह में बढ़ोतरी होती है। परिवार या दफ्तर में किसी मुद्दे को लेकर कलह या टकरावों की स्थिति से बचना चाहिए। इस समय जातक को शांति, संयम और मसले को बातचीत से हल करने का प्रयास करना चाहिए।
8.शनिदेव का वाहन मोर
शनि की का वाहन हो तो जातक को शुभ फल देता है। इस समय जातक को अपनी मेहनत के साथ-साथ भाग्य का साथ भी मिलता है। इस दौरान जातक को समझदारी से काम करने पर बड़ी-बड़ी परेशानी से भी पार पाया जा सकता है। इसमें मेहनत से आर्थिक स्थिति को भी सुधारा जा सकता है।
9.शनिदेव का वाहन हंस
यदि शनि की का वाहन हो तो जातक के लिए बहुत शुभ होता है। इस सायम जातक अपनी बुद्धि औए मेहनत करके भाग्य का पूरा सहयोग ले सकता है। इस अवधि में जातक की आर्थिक में सुधार देखने को मिलता है। हंस को शनि के सभी वाहनों में सबसे अच्छा वाहन कहा गया है।
घर लौटते समय करें यह उपाय लक्ष्मी स्वयं आपके साथ आयेंगी आपके घर
जब भी आप किसी काम से या ऑफिस या दुकान आदि या अन्य किसी भी कार्य से घर से कहीं भी बाहर जाएँ तो घर लौटते वक्त ध्यान रखें की कभी भी घर खाली हाथ न लौटें यथा संभव बच्चों आदि के लिए फल मिठाई आदि जरूर लेकर आएं यदि आप रोज - रोज यह नहीं कर सकते हैं तो कोई सस्ती चीज जैसे टॉफी आदि भी ला सकते हैं इससे बच्चे तो खुश होते ही हैं साथ ही घर में बरक्कत भी बनी रहती है इस बात का नियम बना लें की घर खाली हाथ नहीं लौटना है भले ही किसी पेड़ से एक पत्ता या फूल ही तोड़ कर लाएं या अन्य कोई वस्तु। आप देखेंगे की आपकी आर्थिक स्थिति सुधरने लगेगी और घर में बरक्कत होगी और सुख समृद्धि लेकर माता लक्ष्मी आपके घर में वास करेंगी। यह उपाय कई लोगों द्वारा आजमाया हुआ है करके जरूर देखें।
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