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Thursday 8 February 2018

महा‍शिवरात्रि के पावन अवसर पर अपनी मनोकामनाये पूर्ण करने के बेहतरीन व बेहद अचूक उपाय








महा‍शिवरात्रि पर इन विशेष द्रव्यों से अभिषेक करने पर अलग-अलग फलों की प्राप्ति होती है। अपनी मनोकामना के अनुसार शिव जी पर इस बार चढ़ाएं विशेष द्रव्य...

1. जल से रुद्राभिषेक करने पर सुख-शांति मिलती है।

2. कुशोदक (ऐसा जल जिसमें कुश घास की पत्तियां छोड़ी गई हों)। से पापनाश तथा व्याधि दूर होती है।

3. पशु प्राप्ति के लिए दही से अभिषेक करें।

4. लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करें।

5. धन-धान्य आदि के लिए मधु से अभिषेक करें।

6. स्वास्थ्य समृद्धि के लिए गौघृत से अभिषेक करें।

7. मोक्ष प्राप्ति के लिए तीर्थ जल से अभिषेक करें।

8. दुग्ध से पुत्र-पुत्रादि प्राप्त होते हैं। वंध्या-काकन्ध्या को गौदुग्ध से अभिषेक करना चाहिए।

9. ज्वर शांति के लिए मठे से अभिषेक करें।

10. बुद्धि की जड़ता समाप्त करने के लिए मीठे गौदुग्ध से अभिषेक करें।

11. सरसों के तेल से शत्रुनाश होता है।

12. संतान की कामना के लिए मीठे जल से अभिषेक करें।



किसी भी प्रकार शिवार्चन से आकांक्षाएं फलीभूत होती हैं। पारे के शिवलिंग (पारद शिवलिंग ) व नर्मदेश्वर की प्राण-प्रतिष्ठा नहीं होती। वे स्वयं प्रतिष्ठित माने गए हैं। साधारणतया संध्या के पहले अभिषेक होते हैं किंतु शिवरात्रि पर रात्रि में भी किया जाता है।




Tuesday 6 February 2018

स्मरण - शक्ति बढ़ाने के लिये करें तुलसी का यह रामबाण उपाय


स्मरण - शक्ति बढ़ाने के लिये - प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर तुलसी के पौधे को जल चढ़ायें और उसे प्रणाम करके निम्नलिखित मन्त्र का पाँच बार पाठ करें।



                                    ॐ नमो देवी कामाख्या , त्रिशूल खडक हस्त पधां 
                                           पाती गरुड़ , सर्व लखी तू प्रीतये समागम 
                                               तत्व चिन्तामणि , नरसिंह चल चल 
                                            क्षीन कोटि कात्यायनी , तालाब प्रसाद के 
                                                             ॐ हों ह्रीं क्रूं 
                                                त्रिभुवन चालिया चालिया स्वाहा। 

- इसके बाद में तुलसी के ग्यारह पत्ते तोड़ लें और अच्छी तरह से चबा चबाकर खा लें। इस प्रकार से इस प्रयोग को इकत्तीस दिन तक करने से स्मरण - शक्ति में वृद्धि हो जाती हैं। आप चाहें तो इस प्रयोग को आगे भी जारी रख सकते हैं।



जानिए कौन सा रुद्राक्ष बदल सकता है आपकी किस्मत - राशि , व्यवसाय और ग्रह दशा से रुद्राक्ष निर्धारण



1 -     राशि ( चन्द्र राशि  )के अनुसार -
  राशि                         रुद्राक्ष   
मेष            -            तीनमुखी ,चौदहमुखी
वृष            -            छः मुखी , दसमुखी ,तेरहमुखी
मिथुन        -            तेरहमुखीग्यारहमुखी
कर्क          -            दोमुखी
सिंह           -            एकमुखी , बारहमुखी 
कन्या         -            तेरहमुखी , ग्यारहमुखी
तुला           -            दसमुखी ,   तेरहमुखी

वृश्चिक        -            तीनमुखी , चौदहमुखी
धनु            -             एकमुखी , सातमुखी , चौदहमुखी
मकर        -              एकमुखीचौदहमुखी
कुम्भ         -             एकमुखीचौदहमुखी
मीन          -              एकमुखी    ,सातमुखी
2  -     पीङित  करने वाले ग्रह के अनुसार -
    पीङित गृह                        रुद्राक्ष 
सूर्य                  -                एकमुखीबारहमुखी

चन्द्र                 -                 दोमुखी

मंगल               -                 तीनमुखी ,चौदहमुखी
बुध                  -                 तेरहमुखी , ग्यारहमुखी
गुरु                  -                 एकमुखी , सातमुखी , चौदहमुखी
शुक्र                -                  छः मुखी , दसमुखी , तेरहमुखी
शनि                -                   एकमुखीचौदहमुखी
राहु                 -                   आठमुखी
केतु                -                    तीनमुखी 
3    -     व्यवसाय या पद के अनुसार -
 व्यवसाय या पद                                   रुद्राक्ष 

सांसद /विधायक /नेता           -                एकमुखीचौदहमुखी 
प्रशासनिक अधिकारी            -                एकमुखी , तेरहमुखी
कोषाध्यक्ष                             -                आठमुखी , बारहमुखी
न्ययाधिस्फ ( जल )                -                दोमुखी , चौदहमुखी
अधिवक्ता ( वकील )               -                चारमुखी , तेरहमुखी
पुलिस /सेवा                            -                चारमुखी , नौमुखी
बैंकिंग सेवा                             -                चारमुखीग्यारहमुखी
चिकित्सक ( सामान्य )             -                नौमुखीग्यारहमुखी
चिकित्सक (सर्जन )                 -                चारमुखी , चौदहमुखी 
चिकित्सक ( फिजीशियन )       -               दसमुखी ,   ग्यारहमुखी
कम्पाउण्डर /नर्स                     -                तीनमुखी ,   चारमुखी 
दवा - विक्रेता                            -                 चारमुखी
इंजीनियर ( मैकेनिकल )           -                दसमुखी ,   ग्यारहमुखी

इंजीनियर( सिविल )                -                आठमुखी ,चौदहमुखी
अध्यापक /धर्मप्रचारक            -              छ :मुखी ,चौदहमुखी
लेखक /क्लर्क /टाइपिस्ट         -              आठमुखी ,ग्यारहमुखी
कवि /संगीतकार                      -               नौमुखी ,तेरहमुखी 
बस /ट्रक /रेल चालक              -             सातमुखी ,दसमुखी
वायुयान  चालक                    -            दसमुखी।,गयरहमुखी
जलयान  चालक                  -             आठमुखी ,बारहमुखी 

व्यवसायी (दुकानदार )        -         तेरहमुखी ,चौदहमुखी
उघोगपति  (निर्माता )              -         बारहमुखी ,चौदहमुखी 
होटल -स्वामी                         -        एकमुखी ,तेरहमुखी
ठेकेदार                            -        तेरहमुखी ,चौदहमुखी























पुखराज की माला से भी अधिक प्रभावशाली है यह दिव्य माला

बृहस्पति की साधना में सिद्धि प्राप्त करने के लिये यदि पुखराज की माला से जाप किया जाय तो बहुत लाभ होता है। परन्तु यह अत्यधिक महँगी होती है। तो - अतः इसके विकल्प के रूप में हल्दी का प्रयोग किया जा सकता है।


इसके लिए - हल्दी की गाँठो को छीलकर गोल देने काट लें फिर उन्हें पिले धागे से पिरो लें। बृहस्पति ग्रह का मंत्र जपते हुये उस माला की धूप - दीप से पूजा करें। उसके उपरान्त उसी मंत्र से आहुति देकर हवन करें - हवन में 21 या अपनी आर्थिक - स्थिति के अनुसार इससे भी अधिक आहुति देनी चाहिये। जब हवन समाप्त हो रहा हो तो उस समय - उस माला को दस - पन्द्रह सैकिण्ड के लिये हवन का धुँआ लगा देना चाहिये। हवन समाप्त होने के बाद में अपनी सुविधानुसार चार - पांँच गरीब बच्चों को भोजन करायें।



यह माला - पुखराज की माला से भी अधिक गुण - सम्पन्न होती है। प्रतिदिन इसी माला पर बृहस्पति का मंत्र जापें। इससे सारे अनिष्ट दूर हो जायेगे और ज्ञान , बुद्धि , सम्मान आदि में वृद्धि होगी।

लक्ष्मीजी की पूर्ण कृपा प्राप्त करने के लिए करें ' श्रीफल ' का यह चमत्कारिक उपाय



किसी शुभ दिन ' श्रीफल ' ले आयें और इसे धो - पोंछकर , लाल रंग के कपड़े में लपेटकर पवित्र स्थान ( पूजाघर ) में रख दें। फिर इस पर - सिंदूर , कपूर , लौंग , छोटी इलायची आदि चढ़ायें। इस पर कोई सिक्का आदि भी चढ़ा दें। फिर धुप - दीप से पूजा करें। उसके बाद में 11 माला इस मन्त्र का जप करें - ॐ श्रीं श्रियै नमः। 
फिर उसे किसी कटोरी में ( कपड़े सहित ) रख दें। उसकी प्रतिदिन पूजा करते रहें। कभी - कभी सिक्के भी चढ़ाते रहें।
इस प्रकार से पूजा करते रहने से - धन वृद्धि होती हैं और लक्ष्मीजी की पूर्ण कृपा प्राप्त होती हैं। धन - सम्पदा की वृद्धि के लिये यह प्रयोग बहुत ही सरल और प्रभावशाली है।
बक्से में रखें - उपरोक्त विधि से ' श्रीफल ' को यदि बक्से में रख दिया जाये तो उसमें मुद्रायें बढ़ने लगती हैं। किन्तु यह तथ्य भी ध्यान में रखना चाहिये कि उस बढ़ती हुई राशि से कभी पैसा निकलें नहीं , निकलने से वृद्धि रुक जाती है। समान्य खर्चे के लिये अलग पैसे रखे रहें श्रीफल के पैसे कभी न लें , बल्कि उस पर
कुछ - न - कुछ ( रुपया - दो रुपया ) चढ़ाते रहें। जब धीरे - धीरे काफी पैसे इकटठा हो जायें तो उस राशि को किसी शुभ एवं जनहितकारी कार्य ( जैसे - गरीब बच्चो के स्कूल की फीस , भूखों को भोजन , जरूरतमन्दों को कपड़े , प्याऊ लगवाना , बीमार जानवरों की सेवा आदि ) में खर्च कर दें। यह प्रयोग अनुभूत है और चमत्कारी प्रभाव देखता है।
गोलक में रखें - यदि आप 'श्रीफल ' को गोलक में रखना चाहते हैं तो उसमें भी रख सकते हैं।  'श्रीफल ' को गोलक में रखकर गोलक की प्रतिदिन धुप - दीप से पूजा करें। और उसमें पैसे भी डालते रहें। इस प्रयोग से वह अपेक्षाकृत कम समय में ही भर जायेगा।
अन्न भण्डार में - अन्न भण्डार ( अन्न के गोदाम ) में 'श्रीफल ' रखने से वह सदैव भरा ही रहता है। लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि -  'श्रीफल ' रखने से अन्न की सुरक्षा ( कीड़े - मकोड़े , चूहों , आग , पानी आदि से ) भी होती रहेगी - इस  प्रकार के संकटों से तो अन्न की सुरक्षा का पर्याप्त इंतजाम करना ही चाहिये। लेकिन  'श्रीफल ' रखने से अन्न भण्डार में वृद्धि होती रहेगी -  इसका तात्पर्य यह है कि - अन्न का संग्रह करने की व्यवस्थयें बनती रहेंगी। वैसे भी सास्त्रों में लिखा है कि - अन्न का संग्रह ही सर्वश्रेष्ठ होता है -

     धन्यानां संग्रहोः राजनुत्तमं सर्व संग्र्हात। 
                                       वुभुक्तं हि मुखे रत्नं न कुर्यात प्राण धारणाम।।


दुकान में रखें -  नवरात्रि के नौ दिनों में से किसी भी दिन अपनी दुकान , प्रतिष्ठान , कार्यालय - जहाँ भी
लेन - देन या कोई व्यवसाय होता हो , यह मन्त्र - सिद्ध ' श्रीफल ' किसी सुरक्षित स्थान पर रख दें। उसे नित्य
धुप - दीप दें और कोई सिक्का चढ़ाते रहें। यह प्रयोग करने से उस प्रतिष्ठान - दुकानदार की आर्थिक - स्थिति में धीरे - धीरे बहुत अधिक सुधार होने लग जायेगा।