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Friday 25 September 2015

घर सजाये और समृद्धि पाये

घर सजाये  और समृद्धि पाये  
 वास्तु सिर्फ आपके घर को बल्कि आपके जीवन को भी प्रभावित करता है। जीवन में आने वाली परेशानियों का कारण घर का वास्तु दोष भी हो सकता है। भवन निर्माण एक ऐसी अद्भुत कला है, जिसमें यदि वास्तु के नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाए, तो उस भवन में निवास करने वालों को कभी भी कष्ट और समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता।
आप जानते हें की चित्रों/आकृतियों /फोटो का इतिहास अति प्राचीन है। इनका उपयोग मानव सभ्यता के विकास के आरंभिक काल से ही होता आया है। अमीर, गरीब सब चित्रों का उपयोग कर अपने अपने घरों का शृंगार करते हैं। घर में चित्रों के उपयोग से वास्तु के अनेकानेक दोषों से मुक्ति मिल सकती है। इसका उल्लेख विभिन्न प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। पुराणों में कई स्थानों पर वास्तु दोषों के शमन के लिए चित्र, नक्काशी, बेल बूटे, मनोहारी आकृतियों आदि के उपयोग का वर्णन है। चित्र बनाने में गाय के गोबर का उपयोग किया जाता था।
 यहां घर को वास्तु दोषों से मुक्त रखने के लिए कौन से चित्र कहां लगाने चाहिए इसका एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है——
—–घर के अन्दर और बाहर सुन्दर चित्र , पेंटिंग , बेल- बूटे , नक्काशी लगाने से ना सिर्फ सुन्दरता बढती है , वास्तु दोष भी दूर होते है।
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रसोई घर में माँ अन्नपूर्णा का चित्र शुभ माना जाता है।
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रसोई घर आग्नेय कोण में नहीं है तो ऋषि मुनियों की तस्वीर लगाए।
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मुख्य द्वार यदि वास्तु अनुरूप ना हो तो उस पर नक्काशी , बेल बूटे बनवाएं।
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युद्ध प्रसंग, रामायण या महाभारत के युद्ध के चित्र, क्रोध, वैराग्य, डरावना, वीभत्स, दुख की भावना वाला, करुण रस से ओतप्रोत स्त्री, रोता बच्चा, अकाल, सूखे पेड़ कोई भी चित्र घर में लगायें।
 घर में दक्षिण दीवार पर हनुमान जी का लाल रंग का चित्र लगाएं। ऐसा करने से अगर मंगल आपका अशुभ है तो वो शुभ परिणाम देने लगेगा। हनुमान जी का आशीर्वाद आपको मिलने लगेगा। साथ ही पूरे परिवार का स्वास्थय अच्छा रहेगा।
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घर का उत्तर पूर्व कोना (इशान कोण) स्वच्छ रखें वंहा बहते पानी का चित्र लगायें | (ध्यान रहे इस चित्र में पहाड़/पर्वत हो )
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अपनी तस्वीर उत्तर या पूर्व दिशा मैं लगायें
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उत्तर क्षेत्र की दीवार पर हरियाली या हरे चहकते हुए पक्षियों (तोते की तस्वीर) का शुभ चित्र लगाएं। ऐसा करने से परिवार के लोगों की एकाग्रता बनेगी साथ ही बुध ग्रह के शुभ परिणाम मिलेंगे। उत्तर दिशा बुध की होती है।
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दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए घर में राधा कृष्ण की तस्वीर लगाएं।
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पढने के कमरे में माँ सरस्वती , हंस , वीणा या महापुरुषों की तस्वीर लगाएं।
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व्यापर में सफलता पाने के लिए कारोबार स्थल पर सफल और नामी व्यापारियों के चित्र लगाएं।
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ईशान कोण में शौचालय होने पर उसके बाहर शेर का चित्र लगाएं।
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लक्ष्मी कुबेर की तस्वीरें भी उत्तर दिशा में लगानी चाहिए। ऐसा करने से धन लाभ होने की संभावना है।
घर में जुडवां बत्तख हंस के चित्र लगाना लगाना श्रेष्ठ रहता है। ऐसा करने से समृद्धि आती है।
 घर की तिजोरी के पल्ले पर बैठी हुई लक्ष्मीजी की तस्वीर जिसमें दो हाथी सूंड उठाए नजर आते हैं, लगाना बड़ा शुभ होता है। तिजोरी वाले कमरे का रंग क्रीम या ऑफ व्हाइट रखना चाहिए।
—-घर में नाचते हुए गणेश की तस्वीर लगाना अति शुभ होता है।
बच्चा जिस तरफ मुंह करके पढता हो, उस दीवार पर मां सरस्वती का चित्र लगाएं। पढाई में रूचि जागृत होगी।
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 बच्चों के उत्तर-पूर्व दीवार में लाल पट्टी के चायनीज बच्चों की युगल फोटों लगाएं। ऎसा करने से घर में खुशियां आएंगी और आपके बच्चो का करियर अच्छा बनेगा। इन उपायों को अपनाकर आप अपने बच्चे को एक अच्छा करियर दे सकते हैं और जीवन में सफल बना सकते हैं।
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अध्ययन कक्ष में मोर, वीणा, पुस्तक, कलम, हंस, मछली आदि के चित्र लगाने चाहिए।
बच्चों के शयन कक्ष में हरे फलदार वृक्षों के चित्र, आकाश, बादल, चंद्रमा अदि तथा समुद्र तल की शुभ आकृति वाले चित्र लगाने चाहिए।
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फल-फूल हंसते हुए बच्चों की तस्वीरें जीवन शक्ति का प्रतीक है। उन्हें पूर्वी उत्तरी दीवारों पर लगाएं।
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ऐसे नवदम्पत्ति जो संतान सुख पाना चाहते हैं वे श्रीकृष्ण का बाल रूप दर्शाने वाली तस्वीर अपने बेडरूम में लगाएं।
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यदि आप अपने वैवाहिक रिश्ते को अधिक मजबुत और प्रसन्नता से भरपूर बनाना चाहते हैं तो अपने बेडरुम में नाचते हुए मोर का चित्र लगाएं।
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यूं तो पति-पत्नी के कमरे में पूजा स्थल बनवाना या देवी-देवताओं की तस्वीर लगाना वास्तुशास्त्र में निषिद्ध है फिर भी राधा-कृष्ण अथवा रासलीला की तस्वीर बेडरूम में लगा सकते हैं। इसके साथ ही बांसुरी, शंख,
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हिमालय आदि के चित्र दाम्पत्य सुख में वृद्धि के कारक होते हैं।
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 कैरियर में सफलता प्राप्ति के लिए उत्तर दिशा में जंपिंग फिश, डॉल्फिन या मछालियों के जोड़े का प्रतीक चिन्ह लगाए जाने चाहिए। इससे केवल बेहतर कैरियर की ही प्राप्ति होती है बल्कि व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है।
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 अपने शयन कक्ष की पूर्वी दीवार पर उदय होते हुए सूर्य की ओर पंक्तिबद्ध उड़ते हुए शुभ उर्जा वाले पक्षियों के चित्र लगाएं। निराश, आलस से परिपूर्ण, अकर्मण्य, आत्मविश्वास में कमी अनुभव करने वाले व्यक्तियों के लिए यह विशेष प्रभावशाली है।
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अगर किसी का मन बहुत ज्यादा अशांत रहता है तो अपने घर के उत्तर-पूर्व में ऐसे बगुले का चित्र लगाना चाहिए जो ध्यान मुद्रा मैं हो।
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पूर्वजों की तस्वीर देवी देवताओं के साथ ना लगाएं।उनकी तस्वीर का मुंह दक्षिण की ओर होना चाहिए।स्वर्गीय परिजनों के चित्र दक्षिण की दीवार पर लगाने से सुख समृधि बढेगी
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दक्षिण मुखी भवन के द्वार पर नौ सोने या पीतल के नवग्रह यंत्र लगाए और हल्दी से स्वस्तिक बनाए।
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सोने का कमरा आग्नेय कोण में हो तो पूर्वी दीवार के मध्य में समुद्र का चित्र लगाए।
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घर के मंदिर में देवी-देवता के समीप अपने स्वर्गीय परिजनों के फोटो कदापि नहीं लगाने चाहिए।
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अन्य चित्रों का उपयोग यदि ईशान कोण में शौचालय हो, तो उसके बाहर शिकार करते हुए शेर का चित्र लगाएं।
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अग्नि कोण में रसोई घर नहीं हो, तो उस कोण में यज्ञ करते हुए ऋषि-विप्रजन की चित्राकृति लगानी चाहिए।
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रसोई घर में अन्नपूर्णा का चित्र शुभ माना गया है, किंतु रसोई में मत्स्य, मांसादि भी बनाए जाते हंै इसलिए अन्नपूर्णा का चित्र नहीं बल्कि महाविद्या छिन्नमस्ता का चित्र लगाना चाहिए।
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यदि मुख्य द्वार वास्तु सिद्धांत के प्रतिकूल तथा छोटा हो, तो उसके इर्द-गिर्द बेलबूटे इस प्रकार लगाने चाहिए कि वह बड़ा दिखाई दे।
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शयन कक्ष अग्नि कोण में हो, तो पूर्व मध्य दीवार पर शांत समुद्र का चित्र लगाना चाहिए।
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दक्षिणमुखी मकान प्रायः शुभ नहीं होते किंतु वास्तुसम्मत उपाय कर उनकी शुभता में वृद्धि की जा सकती है। इस हेतु स्वर्ण पालिश युक्त नवग्रह यंत्र मुख्य द्वार के पास स्थापित करना चाहिए। साथ ही द्वार पर हल्दी का स्वस्तिक भी बनाना चाहिए।
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 व्यापार तथा व्यवसाय के अनुरूप चित्रों का चयन दुकान, कार्यालय, कारखाने आदि में उनके अनुकूल चित्र लगाकर लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए आजकल चित्रों का भरपूर उपयोग किया जाता है। किंतु रुदन करते हुए व्यक्ति, बंद आंखों के प्राणियों के समूह, दुखी जनों, सूअर, बाघ, सियार, सांप, उल्लू, खरगोश, बगुला आदि के चित्रों के साथ-साथ भयानक आकृतियों वाले और दीनता दर्शाने वाले चित्र कदापि नहीं लगाने चाहिए।
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संस्थान से जुड़े कार्यों के चित्र शुभ होते हैं। व्यक्ति को चाहिए कि वह जो व्यापार करता हो वही व्यापार करने वाले विश्व प्रसिद्ध व्यक्तियों के चित्र अपने संस्थान में उपयुक्त स्थान पर लगाए। अपने प्रेरणा स्रोत का फोटो भी अच्छी सफलता में सहयोगी होता है।
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अध्ययन कक्ष में मोर, वीणा, पुस्तक, कलम, हंस, मछली आदि के चित्र लगाने चाहिए। बच्चों के शयन कक्ष में हरे फलदार वृक्षों के चित्र, आकाश, बादल, चंद्रमा अदि तथा समुद्र तल की शुभ आकृति वाले चित्र लगाने चाहिए।
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पति-पत्नी के शयन कक्ष में भगवान कृष्ण की रासलीला, बांसुरी, शंख, हिमालय आदि के चित्र दाम्पत्य सुख में वृद्धि के कारक होते हैं।
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 यदि भवन में प्रवेश करते समय अंदर की ओर कोई सूनी दीवार है तो उसके कारण परिवार में अशांति बनी रहती है।इस वास्तु दोष के निवारण के लिए भवन की दीवार पर गणेश जी का सुंदर चित्र लगा दें। भवन के मुख्य द्वार के ठीक सामने भवन की ओर आने वाली सड़क का होना एक ऐसा वास्तु दोष है, जो परिवार के सदस्यों के लिए असहनीय कष्ट समस्याओं का कारण बनता है। इस वास्तु दोष को दूर करने के लिए भवन के द्वार पर शिव यंत्र या दुर्गा यंत्र लगाकर उसके ठीक ऊपर हल्का प्रकाश देने वाला लाल रंग का बल्ब जलाना चाहिए। भवन के मुख्य द्वार पर गणेश जी की प्रतिमा या चित्र लगाने से भी यह वास्तु दोष दूर होता है।
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बैठक में रामायण, कृष्ण लीला तथा पौराणिक प्रसंगों के चित्र लगाने चाहिए। किंतु युद्ध, विकलांगता, भयनाक आकृति वाले तथा अंधों के चित्र कदापि नहीं लगाने चाहिए।
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 जिन देवताओं के दो से ज्यादा हाथों में अस्त्र हों उनके चित्र भी नहीं लगाने चाहिए। घर के आसपास जो मंदिर हो, उसमें स्थापित देवी या देवता का चित्र मुख्य द्वार पर लगाना चाहिए।
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यदि ईशान कोण में शौचालय हो, तो उसके बाहर शिकार करते हुए शेर का चित्र लगाएं।
अग्नि कोण में रसोई घर नहीं हो, तो उस कोण में यज्ञ करते हुए ऋषि-विप्रजन की चित्राकृति लगानी चाहिए।
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सफेद आकड़े की जड़ की गणेश जी की आकृति बनाकर उसकी नियमित रूप से विधिवत् पूजा करते रहें, घर वास्तु दोषों से सुरक्षित रहेगा।
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शयन कक्ष में सदैव सुंदर, कलात्मक फूलों या हंसते हुए बच्चों की तस्वीरें लगाने से नींद भी बेहतर आती है।
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स्वस्तिक, मंगल कलश, ओम, 786 आदि मंगल चिन्हों की तस्वीरें घर में अवश्य लगाएं। इनसे घर में सुख-शांति बढ़ती है।
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डाइनिंग हॉल की दीवारों पर फल-फूलों प्राकृतिक दृश्यों के अच्छे चित्र लगाए जा सकते हैं।
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 यदि भवन में गलत दिशा में कोई भी जल स्रोत हो तो इस वास्तु दोष के कारण परिवार में शत्रु बाधा, बीमारी मन मुटाव देखने को मिलता है। इस दोष को दूर करने के लिए उस भवन में ऐसे पंचमुखी हनुमान जी का चित्र लगाना चाहिए, जिनका मुख उस जल स्रोत की ओर देखते हुए दक्षिण पश्चिम दिशा की तरफ हो। भवन की दीवारों में दरारें होना भी वास्तु दोष है। इसके कारण उस भवन में रहने वाले लोगों के जोड़ों में दर्द, गठिया, साइटिका, पीठ गर्दन का दर्द होने का अंदेशा रहता है।इस वास्तु दोष के शमन के लिए दरारों को प्लास्टर कराकर बन्द कर देना चाहिए। यदि किसी कारण प्लास्टर कराना सम्भव हो तो दरार को किसी झरने या पर्वत के पोस्टर द्वारा ढंक देना चाहिए। भवन के वास्तु दोषों को दूर करने के लिए भवन में तुलसी का पौधा, मनी प्लांट, अशोक वृक्ष, क्रिस्टल बॉल, विंड चाइम्स, मछली- घर आदि लगाना भी उचित माना गया है।
घर में विविध तस्वीरें लगाना, मूर्तियाँ रखना हमारा शौक होता है। मगर यह करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए अन्यथा घर की सुख-शांति नष्ट होते देर नहीं लगती।

1. 
स्नेह-शांति व सुख का प्रतीक (प्रदर्शन) करने वाली मूर्तियाँ या तस्वीरें लगाएँ। क्रोध, वैराग्य, भयकारी, वीभत्स, दुख की भावना वाली वस्तुएँ न रखें।

2. 
युद्ध प्रसंग, रामायण या महाभारत के युद्ध के चित्र, राक्षसों की मूर्तियाँ, तलवार लिए योद्धा आदि घर में न रखें। 

3. 
करुण रस से ओतप्रोत स्त्री, रोता बच्चा, अकाल, सूखे पेड़ आदि की तस्वीरें कतई न लगाएँ।

4. 
बंदर, सर्प, गिद्ध, कबूतर, बाघ, कौआ, गरुड़, उल्लू, भालू, सियार, सुअर आदि की तस्वीरें या मूर्ति कतई न रखें।

5. 
ऐतिहासिक-पौरा‍णिक घटनाओं को दिखाने वाली तस्वीरें न लगाएँ। 

6. 
घोड़ा, ऊँट या हिरण घर में लगाया जा सकता है। 

7. 
घर में स्थान-स्थान पर भगवान की मूर्तियाँ या चित्र न लगाएँ। इनसे लाभ की बजाय हानि होती हैं।

8. 
उन्हीं तस्वीरों या मूर्तियों को चुनें जो देखने पर मन को शांति और सुख प्रदान करें।

9. 
हंस की तस्वीर से घर में समृद्धि आती है।

अध्ययन कक्ष के ईशान कोण में बच्चों के लिए पीने का पानी रखें। यहां अपने इष्टदेव की तस्वीर लगाएं। 

अध्ययन कक्ष की दीवार पर बड़े दर्पण न लगाएं। अधिक तस्वीरें भी न लगाएं, किंतु भगवान गणेश और मां सरस्वती की तस्वीर अवश्य लगाएं। 

कर्ज ज्यादा हो, तो भूमि का ढलान ईशान कोण की ओर कर दें। यदि ढलान पहले से ही हो, तो नैऋत्य कोण को थोड़ा ऊंचा कर दें, कर्ज की समस्या सुलझ जाएगी। 

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