Saturday, 26 November 2016
Friday, 25 November 2016
जानिए क्यों माता लक्ष्मी अनसुनी कर रही हैं आपकी प्रार्थना - शायद आप भी करते हों यह सामान्य भूल
माता लक्ष्मी से कुछ भी मांगते समय आप कभी भी हाथ जोड़ कर प्रार्थना न करें क्योकि हाथ जोड़ने का अर्थ विदा करना होता है। इसलिये आप सदेव ही माता लक्ष्मी से कुछ भी मांगते समय दोनों हाथ फेलाकर मांगे जैसे आप माता से सुख समृधि प्रदान करने का निवेदन कर रहें हैं ! माँ लक्ष्मी आप की इच्छा पूरी करेंगी।
Thursday, 24 November 2016
हर तरह के रोग से मात्र तीन दिनों में मुक्ति दिलाता है यह उपाय - रविवार को करें और देखें चमत्कार
अगर परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तथा लगातार दवाई खाने के पश्चात् भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है, तो किसी भी रविवार से आरम्भ करके लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का पेड़ा तथा एक लोटा पानी व्यक्ति के सिर के ऊपर से उसार कर जल को किसी भी साधारण पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को खिला दें। अवश्य ही इन 3 दिनों के अन्दर व्यक्ति स्वस्थ महसूस करने लगेगा। अगर उपाय की अवधि में रोगी ठीक हो जाता है, तो भी उपाय को पूरा करना है !
Saturday, 19 November 2016
यदि कुंडली में हो यह विशेष योग तो जितना अधिक खर्च करो उतना अधिक बढ़ता है धन - आज ही देखें की क्या आपकी कुंडली में है यह योग
किसी जातक की कुंडली में यदि 12 वें भाव यानि व्यय भाव में सूर्य है तो व्यय करने से या दान करने से धन मिलता है. जातक जितना ही अधिक दान व सत्कार्य में खर्च करेगा उसका धन बढता जायेगा, कृपणता किसी काम नही आयेगी. अतः जिनकी कुंडली में सूर्य १२ वें भाव में हो उन्हें दान आदि सत्कार्यों में दिल खोल कर खर्च करना चाहिए और उनको अधिकाधिक धनलाभ होने के योग जरूर बनेंगे आजम कर देखें।
Monday, 14 November 2016
व्यापार में तंगी को समाप्त करके तीव्र गति से उन्नति के लिए ११ गुरूवार करें यह अमोघ उपाय
किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के गुरुवार को व्यापार स्थल के मुख्य द्वार के कोने को गंगाजल से धोकर स्वच्छ कर लें। इसके उपरान्त हल्दी से सतिया (स्वस्तिक) बनाकर उसपर थोड़ी सी चने की दाल और गुड़ रख दें। इसके बाद उस स्वस्तिक को बार-बार नहीं देखें। इस प्रकार प्रत्येक गुरुवार को यह क्रिया करें। कम से कम ११ गुरुवार तक तो करें ही।
Friday, 11 November 2016
जानिए स्वस्तिक के १६ चमत्कारिक उपाय जो बदल सकते हैं किसी की भी जिंदगी
- पञ्च धातु का स्वस्तिक बनवा के प्राण प्रतिष्ठा करके चौखट पर लगवाने से अच्छे परिणाम मिलते हैं.
- चांदी में नवरत्न लगवाकर पूर्व दिशा में लगाने पर वास्तु दोष व लक्ष्मी प्राप्त होती है.
- वास्तु दोष दूर करने के लिये 9 अंगुल लंबा और चौड़ा स्वस्तिक सिन्दूर से बनाने से नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदल देता है.
- धार्मिक कार्यो में रोली, हल्दी,या सिन्दूर से बना स्वस्तिक आत्मसंतुष्टि देता है.
- गुरु पुष्य या रवि पुष्य मे बनाया गया स्वस्तिक शांति प्रदान करता है.
- त्योहारों में द्वार पर कुमकुम सिन्दूर अथवा रंगोली से स्वस्तिक बनाना मंगलकारी होता है. ऐसी मान्यता है की देवी - देवता घर में प्रवेश करते हैं इसीलिए उनके स्वागत के लिए द्वार पर इसे बनाया जाता है.
- अगर कोई 7 गुरुवार को ईशान कोण में गंगाजल से धोकर सुखी हल्दी से स्वस्तिक बनाए और उसकी पंचोपचार पूजा करे साथ ही आधा तोला गुड का भोग भी लगाए तो बिक्री बढती है.
- स्वस्तिक बनवाकर उसके ऊपर जिस भी देवता को बिठा के पूजा करे तो वो शीघ्र प्रसन्न होते है.
- देव स्थान में स्वस्तिक बनाकर उस पर पञ्च धान्य का दीपक जलाकर रखने से कुछ समय में इच्छित कार्य पूर्ण होते हैं .
- भजन करने से पहले आसन के नीचे पानी , कंकू, हल्दी अथवा चन्दन से स्वास्तिक बनाकर उस स्वस्क्तिक पर आसन बिछाकर बैठकर भजन करने से सिद्धी शीघ्र प्राप्त होती है.
- सोने से पूर्व स्वस्तिक को अगर तर्जनी से बनाया जाए तो सुख पूर्वक नींद आती है, बुरे सपने नहीं आते है.
- स्वस्तिक में अगर पंद्रह या बीसा का यन्त्र बनाकर लोकेट या अंगूठी में पहना जाए तो विघ्नों का नाश होकर सफलता मिलती है.
- मनोकामना सिद्धी हेतु मंदिरों में गोबर और कंकू से उलटा स्वस्तिक बनाया जाता है.
- होली के कोयले से भोजपत्र पर स्वास्तिक बनाकर धारण करने से बुरी नजर से बचाव होता है और शुभता आती है.
- पितृ पक्ष में बालिकाए संजा बनाते समय गोबर से स्वस्तिक भी बनाती है शुभता के लिए और पितरो का आशीर्वाद लेने के लिए.
- वास्तु दोष दूर करने के लिए पिरामिड में भी स्वस्तिक बनाकर रखने की सलाह दी जाती है. अतः स्वस्तिक हर प्रकार से से फायदेमंद है , मंगलकारी है, शुभता लाने वाला है, ऊर्जा देने वाला है, सफलता देने वाला है इसे प्रयोग करना चाहिए।।
Sunday, 6 November 2016
Saturday, 5 November 2016
शुभ मुहर्त से सम्बंधित समस्त शंकाओं का समाधान - जानें सम्पूर्ण जानकारी
शुभ मुहर्त से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी :-
मुहूर्त किसे कहते है ?
किसी भी कार्य विशेष के लिए पंचांग शुद्धि द्वारा निश्चित की गई समयावधि को ‘मुहूर्त’ कहा जाता है।
👉 मुहूर्त निकलने के मुख्य नियम क्या है ?
तिथि, वार, नक्षत्र, योग एवं करण इन्हीं के आधार पर शुभ समय निश्चित किया जाता है। लग्न शुद्धि के साथ-साथ इन पांचों का शुभ होना परम आवश्यक है। इन सबके आधार पर ही शुभ व शुद्ध मुहूर्त निकाला जाता है।
👉 किन कार्यों का मुहूर्त निकलकर काम करना चाहिए या किनका नहीं ?
दैनिक व नित्य कर्मों को करने के लिए कोई मुहूर्त नहीं निकाला जाता है, परंतु विशिष्ट कर्मों व कार्यों की सफलता हेतु मुहूर्त निकलवाना चाहिए ताकि शुभ घडि़यों का अधिकाधिक लाभ प्राप्त हो सके।
👉 यदि मुहूर्त न निकल रहा हो तो आवश्यकता पड़ने पर क्या करें ?
यदि आवश्यकता के अनुसार मुहूर्त न निकल रहा हो, तो केवल शुभ योग देखकर और अति आवश्यकता में अभिजित मुहूर्त या गोधूलि के समय अथवा केवल लग्न शुद्धि कर कार्य कर सकते हैं।
👉 गोधुलि व् अभिजित मुहूर्त को इतनी मान्यता क्यूँ है ?
गोधूलि व अभिजित मुहूर्त में सूर्य केंद्र में स्थित होता है, जो इन मुहूर्तों की महत्ता को बढ़ाता है।
👉 किस वर्ष विवाह गृहप्रवेश मुहूर्त नहीं होता ऐसा क्यूँ होता है ?
विवाह मुहूर्त लगभग 15 जनवरी से 15 मार्च, 15 अप्रैल से 15 जुलाई व 15 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच ही होते हैं। इसमें भी कभी-कभी गुरु और शुक्र अस्त हो जाते हैं। गुरु लगभग 3 सप्ताह एवं शुक्र 2 माह अस्त रहता है। इस प्रकार जब ये ग्रह अस्त होते हैं लगभग मुहूर्त की एक ऋतु बीत जाती है और ऐसा लगता है कि वर्ष में मुहूर्त ही नहीं है।
👉 यदि एक मुहूर्त किसी एक कार्य के लिए शुद्ध हो, तो क्या अन्य कार्यों के लिए शुद्ध नहीं हो सकता ?
मुहूर्त शास्त्र के अनुसार प्रत्येक घड़ी का अपना महत्व होता है। फिर कार्य के अनुरूप ही नक्षत्र, तिथि, और वार का चयन कर मुहूर्त बताया जाता है। इसलिए यह आवश्यक नहीं है कि एक मुहूर्त किसी एक कार्य के लिए शुद्ध हो, तो वह अन्य कार्यों के लिए भी शुद्ध होगा।
👉 राहुकाल,चौघड़िया, होरा एवं लग्न शुद्धि- समय शुद्धि की इन चार पद्धित्तियों में से कौन सी कब अपनानी चाहिए ?
प्रतिदिन लगभग 1 घंटा 30 मिनट की अवधि राहुकाल की अवधि मानी गई है। राहु काल में कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ करना या उसके लिए बाहर निकलना मना किया गया है। राहुकाल में प्रारंभ किए गए शुभ कार्य को ग्रहण लग जाता है। यदि अकस्मात यात्रा करने का मौका आ पड़े, तो उस अवसर के लिए विशेष रूप से चैघडि़या मुहूर्त का उपयोग होता है। इसी प्रकार होरा मुहूर्त कार्य सिद्धि के लिए पूर्ण फलदायक व अचूक माने जाते हैं, जो दिन रात के 24 घंटों में घूमकर मनुष्य को कार्य सिद्धि के लिए अशुभ समय में भी सुसमय, सुअवसर प्रदान करते हैं। सूर्य का होरा राज सेवा के लिए, चंद्रमा का होरा सभी कार्यों के लिए, वाद मुकदमे के लिए मंगल का होरा, ज्ञानार्जन के लिए बुध का होरा, प्रवास के लिए शुक्र, विवाह के लिए गुरु व द्रव्य संग्रह के लिए शनि का होरा उत्तम होता है। प्रत्येक कार्य के लिए लग्न शुद्धि शुभ भविष्य को दर्शाती है।
👉 तीन ज्येष्ठ हों, तो क्या विवाह करना अशुभ है ?
परम्परा के अनुसार तीन ज्येष्ठ होने पर विवाह करना शुभ फलदायी नहीं माना जाता। इस योग में विवाह होने पर वर पक्ष अथवा वधू पक्ष में हानि होने की संभावना मानी जाती है। लेकिन मुहूर्त शास्त्र में उल्लेख नहीं हैं।
👉 किसी कार्य को करने की शुभ तारीख ज्ञात करने के लिए शुभ योग की गणना करें या पंचांग शुद्धि से देखें ?
पंचांग शुद्धि के द्वारा दिन निर्धारण करना मुहूर्त शास्त्र के अनुसार श्रेयस्कर माना गया है। यदि समयावधि के अनुसार शुभ तारीख न बनती हो तो शुभ योगों की गणना कर कार्य करना उचित माना जाता है।
👉 विवाह काल में यदि सुतक पड़े तो क्या विवाह करना उचित होगा ?
विवाह काल में यदि सूतक पड़ जाए, तो विवाह करना उचित नहीं माना जाता। ऐसी स्थिति में सूतक शुद्धि कर लेनी चाहिए। सूतक काल में शास्त्रों के अनुसार पूजा-पाठ व वैदिक अनुष्ठान वर्जित हैं।
👉 अबूझ मुहूर्त में विवाह करना उचित है या केवल मुहूर्त की तारीख में ?
अबूझ मुहूर्त में विवाह करना उचित है, परंतु मुहूर्त की तारीखें विवाह के लिए उपयुक्त हों, तो उनमें विवाह करना श्रेयस्कर होता है , क्योंकि ये मुहूर्त पंचांग द्वारा शुद्धीकरण कर निकाले जाते हैं। अबूझ मुहूर्त को केवल शुभ तारीखें न मिलने पर अपनाना चाहिए।
👉 अभुझ मुहूर्त में तारा आदि डूबें हो या अन्य कोई कारण हो तो भी क्या इनमें विवाह करना शुभ होगा ?
अबूझ मुहूर्त के समय तारा डूबा हो अथवा अन्य कोई कारण हो, तो इनमें विवाह करना ठीक नहीं है, क्योंकि अबूझ मुहूर्त शुभ मुहूर्त से कम फलदायी माना गया है।
👉 यदि वर व् कन्या का मिलान शुभ न हो तो क्या शुभ मुहूर्त में विवाह कर दोष दूर किया जा सकता है ?
शुभ मुहूर्त में विवाह कर व दोष संबंधी दान-पूजा करवाकर मिलान दोष दूर तो नहीं, परंतु कम अवश्य किया जा सकता है। शुभ मुहूर्त में विवाह करवाने से दोष कुछ अवधि के लिए टल जाता है।
👉 यदि वास्तु दोष हो तो क्या शुभ मुहूर्त में प्रवेश का वास्तु दोष से मुक्ति पाई जा सकती है ?
शुभ मुहूर्त मे प्रंवेश कर वास्तु दोष से मुक्ति तो नहीं पाई जा सकती, परंतु वास्तु दोष कम अवश्य किया जा सकता है। पूर्ण रूप से वास्तु दोष को तभी दूर किया जा सकता है, जब घर वास्तु आधारित नियमो कें अनुसार बनाया गया हो।
👉 क्या मुहूर्त के द्वारा भविष्य को बदला जा सकता है ?
जिस प्रकार किसी बालक के जन्म समय के ग्रह उसके भविष्य को बताते हैं, उसी प्रकार मुहूर्त आने वाले समय में जो कार्य होना है, उसका भविष्य बताता है। शुभ मुहूर्त में कार्य कर भविष्य तो नहीं बदला जा सकता, परंतु कुछ दोष अवश्य कम किए जा सकते हैं। शुभ मुहूर्त में कार्य तभी सफल होता है जबकि आपके पूर्व जन्म के कर्म व भाग्य अनुकूल हों।
सिर्फ तीन गुरूवार करें यह सरल उपाय - होता रहेगा धन का आगमन
गुरूवार के दिन सवा पाँच किलो आटा और सवा पाँच किलो गुड़ का मिश्रण तैयार करके उसकी मीठी रोटियाँ बनाएं और शाम के समय किसी गाय को श्रद्धा पूर्वक प्रेम सहित खिला दें यह उपाय लगातार तीन गुरूवार करने से सभी आर्थिक समस्याएँ समाप्त हो जाती हैं और व्यक्ति को कभी भी गरीबी का सामना नही करना पड़ता। और धन का आगमन होता रहता है।
Friday, 4 November 2016
Thursday, 3 November 2016
बहुत जल्दी बहुत सारा धन कामना चाहते हैं - करें हकीक के पत्थर से यह सरल किन्तु सिद्ध उपाय
धन कमाने की इच्छा प्रत्येक व्यक्ति की होती है किन्तु कुछ लॊग थोड़े में भी संतोष कर लेते हैं किन्तु कुछ महत्वकांक्षी लोग अतिशीघ्र अत्यधिक धन कामना चाहते हैं और इसके लिए वे दिन रात कड़ी मेहनत भी करते हैं किन्तु आशातीत सफलता नही मिलती यदि आपकी भी स्थिति कुछ ऐसी ही है तो रात में 27 हकीक पत्थर लेकर उसके ऊपर लक्ष्मी की मूर्ति रख दें. ऐसा करने से निश्चय ही उनके घर में धन में बहुत बड़ी मात्रा में बढ़ोतरी होती है. यह कार्य किसी गुप्त स्थान पर करें और कोई आपको टोके भी नहीं। बहुत ही जल्दी आप स्वयं अनुभव करेंगे की आपके धन में वृद्धि की गति तेज होती जा रही है किन्तु धन प्राप्ति के अपने प्रयासों में कमी न करें यह उपाय तभी कारगर होगा जब आप अपने कर्मों को निरंतर करते रहेंगे।
किसी रिश्तेदार या बहरी व्यक्ति के कारण घर में हो विवाद और कलह हो तो यह सरल उपाय वापस लाता है सुख शांति और समृद्धि
शास्त्रों के अनुसार जिस घर में रोज झगड़ा या कलह होती है लक्ष्मी वहाँ से पलायन कर जाती हैं और घर में दरिद्रता का वास हो जाता है। घरों में अक्सर कुछ रिश्तेदारों के व्यवहार के कारण भी झगड़े होते रहते है। यदि किसी रिश्तेदार या बहरी व्यक्ति के कारण घर में हो विवाद और कलह हो तो एक लोटा पानी लेकर उसमें चार लाल मिर्च के बीज डालकर अपने ऊपर से सात बार उतारने के बाद, उस पानी को घर के बाहर डाल दें ऐसा करने से आपके घर के सभी कलह और क्लेशों का नाश होगा और आपके घर में सुख शांति और समृद्धि वापस आ जायगी।
यदि नित्य ही घेरे रहती हो कोई नयी समस्या और टोने टोटके के प्रभाव की हो आशंका तो यह उपाय है आपके लिए वरदान
अगर घर में रोज कोई न कोई परेशानी आ रही है और आपको लगता है कि कभी किसी ने कुछ करवा तो नही दिया है तो परेशान न हो और सिर्फ एक नारियल को काले कपडे में बांधकर घर के बाहर लटकाने से बहुत फ़ायदा मिलेगा। आपकी समस्यओं का जल्द ही समाधान होगा और नयी मुसीबतें नहीं आएँगी। टोने टोटके का प्रभाव भी समाप्त हो जायगा और बुरी नजर से भी रक्षा होगी।
Wednesday, 2 November 2016
प्रतिदिन प्रातः काल जरूर पढें हनुमान जी के यह १२ सिद्ध नाम मिलेगी उन्नति और यश कीर्ति धन सम्पदा और मनचाही सफलता
कलियुग मेंहनुमान जी ही एकमात्र ऐसे देवता है जो बड़ी शीघ्रता से प्रसन्न हो जाते हैं। साधारण पूजा और राम नाम के जाप से भी लोगों को बजरंग बली के दर्शन होने की भी कई कहानियां सुनने को मिलती हैं। इनकी आराधना से कुंडली के सभी ग्रहदोष समाप्त होकर व्यक्ति के सौभाग्य का उदय होता है।हनुमानजी को प्रसन्न करने और उनके दर्शन करने का एक ऐसा ही सरल उपाय है प्रतिदिन उनके 12 विशेष नामों का स्मरण करना। इस उपाय को सभी राशियों के लोग कर सकते हैं। इससे पवनपुत्र बहुल जल्दी प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। आनन्द रामायण में बताए गए हनुमानजी के ये 12 नाम इस प्रकार हैं-
हनुमानञ्जनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:। रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:। लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:। स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भेवत्। राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।
इस छोटी सी स्तुति में भगवान महावीर के 12 नाम हैं। इसके प्रतिदिन नियमित जप से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती हैं तथा शनि की साढ़े साती व ढैय्या का असर समाप्त होता है। यदि इस श्लोक का जप नहीं करना चाहते हैं तो आगे दिए सभी बारह नामों का जप भी कर सकते हैं।ये है इस स्तुति का अर्थ और स्तुति में दिए गए सभी बारह नाम :-
श्लोक की शुरुआत में ही पहला नाम हनुमान दिया गया है, दूसरा नाम है अंजनीसूनु, तीसरा नाम है वायुपुत्र, चौथा नाम है महाबल, पांचवां नाम है रामेष्ट यानी श्रीराम के प्रिय, छठा नाम है फाल्गुनसुख यानी अर्जुन के मित्र, सातवां नाम है पिंगाक्ष यानी भूरे नेत्रवाले, आठवां नाम है अमितविक्रम, नवां नाम है उदधिक्रमण यानी समुद्र को अतिक्रमण करने वाले, दसवां नाम है सीताशोकविनाशन यानी सीताजी के शोक का नाश करने वाले, ग्याहरवां नाम है लक्ष्मणप्राणदाता यानी लक्ष्मण को संजीवनी बूटी द्वारा जीवित करने वाले और बाहरवां नाम है दशग्रीवदर्पहा यानी रावण के घमंड को दूर करने वाले।
इन सभी नामों से हनुमानजी की शक्तियों तथा गुणों का बोध होता है। साथ ही भगवान राम के प्रति उनकी सेवा भक्ति भी स्पष्ट दिखाई देती है। इसी कारण इन नामों के जप से पवनपुत्र बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं।यदि किसी व्यक्ति के जीवन में कठिन समय चल रहा है, कुंडली में किसी प्रकार का ग्रह दोष है, कार्यों में सफलता नहीं मिल पा रही है, घर-परिवार में सुख-शांति नहीं है या किसी प्रकार का भय सता रहा है, बुरे सपने आते हैं, विचारों की पवित्रता भंग हो गई है तो यहां दिए गए हनुमानजी बारह नामों का जप करना चाहिए।
सावधान - इस समय शारीरिक संबंध बनाने से आरंभ हो जाता है दुर्भाग्य और बुरा समय
शास्त्रों में प्रत्येक कार्य के लिए एक विशेष समय निर्धारित किया गया है और यह भी बताया गया है की उपयुक्त
समय पर काम न करने से उसके क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं, शारीरिक संबंध बनाने के लिए मध्य रात्रि का समय सबसे उत्तम माना गया है। यह समय रात्रि के १२ बजे से रात्रि के ३ बजे तक होता है। माना गया है की भोजन से कम से कम ३ घंटे तक शारीरिक संबंध नहीं नहीं बनाना चाहिए क्योंकि भोजन के पाचन में कम से कम तीन घंटे लगते है इसके पहले संबंध बनाने से पेट और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं उसी तरह प्रातः ४ बजे ब्रम्ह मुहर्त माना जाता है यह सर्वोत्तम समय होता है इस समय व्यक्ति की आध्यात्मिक शक्तियां चरम पर जाग्रत होती है इस समय स्नान करके ध्यान पूजन अर्चन करना चाहिए किन्तु शारीरिक संबंध भूल से भी नहीं बनाने चाहिए शास्त्रों में कहा गया है की ब्रम्ह मुहर्त में संबंध बनाने से पुरुषत्व की हानि होती है और दुर्भाग्य एवं बुरे समय का आरम्भ हो जाता है और लक्ष्मी रूष्ट हो कर वह घर त्याग देती हैं।
समय पर काम न करने से उसके क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं, शारीरिक संबंध बनाने के लिए मध्य रात्रि का समय सबसे उत्तम माना गया है। यह समय रात्रि के १२ बजे से रात्रि के ३ बजे तक होता है। माना गया है की भोजन से कम से कम ३ घंटे तक शारीरिक संबंध नहीं नहीं बनाना चाहिए क्योंकि भोजन के पाचन में कम से कम तीन घंटे लगते है इसके पहले संबंध बनाने से पेट और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं उसी तरह प्रातः ४ बजे ब्रम्ह मुहर्त माना जाता है यह सर्वोत्तम समय होता है इस समय व्यक्ति की आध्यात्मिक शक्तियां चरम पर जाग्रत होती है इस समय स्नान करके ध्यान पूजन अर्चन करना चाहिए किन्तु शारीरिक संबंध भूल से भी नहीं बनाने चाहिए शास्त्रों में कहा गया है की ब्रम्ह मुहर्त में संबंध बनाने से पुरुषत्व की हानि होती है और दुर्भाग्य एवं बुरे समय का आरम्भ हो जाता है और लक्ष्मी रूष्ट हो कर वह घर त्याग देती हैं।
चिड़चिड़े और जिद्दी बच्चे या पति को ठीक करने का अचूक उपाय
यदि आपका बच्चा जिद्दी और चिड़चिड़ा हो गया है या आपके पति बात - बात पर गुस्सा करते हैं तो शनिवार या मंगलवार को उसके ऊपर से राई-मिर्ची उसार कर जला दें। तथा पीडि़त व्यक्ति को उसे देखते रहने के लिए कहें। शीघ्र ही आपको बच्चे के स्वभाव में अंतर नजर आने लगेगा यह उपाय बार बार करते रहने से कुछ दिनों में बच्चे का व्यवहार बिल्कुल नियंत्रित हो जाता है।
अगर मेहनत करने पर भी न मिले व्यापार में सफलता तो गुरूवार को करें श्यामा तुलसी का यह अमोघ और सरल उपाय
यदि आप कोई भी व्यापार करते हैं या करना चाहते है किन्तु अनेकानेक प्रयासों के बाद भी सफल नहीं हो पा रहे हों तो शुक्ल पक्ष के किसी भी गुरूवार को श्यामा तुलसी को दूध मिला जल अर्पित कारें और यदि श्यामा तुलसी के आस पास खर पतवार या घास उगी हो तो उसे उखाड़कर साफ़ करके पीले वस्त्र में बांध कर व्यापारिक स्थल या तिजोरी में रख दें। यह उपाय करने से शीघ्र ही आपका बंद या मंदा पड़ा व्यापार चल पड़ेगा।यह उपाय अत्यन्त ही चमत्कारिक रूप से प्रभावशाली है।
Subscribe to:
Posts (Atom)