पूजा एवम जप तो हम सभी करते हैं कुछ निष्काम पूजा करते है तो अधिकतम लोग सकाम पूजा करते है अर्थात किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए पूजा एवम जप आदि करते हैं। किन्तु यदि इस पूजा एवम जप में शास्त्रों द्वारा निर्धारित मानकों को ध्यान में रखा जाये तो फल शीघ्र एवम अवश्य ही प्राप्त होता है।
इसमें प्रमुख हैं :-
१- साधना का समय
२:- माला
३:- आसन
१- साधना का समय :-
प्रत्येक साधना के आरम्भ से समाप्ति तक शास्त्रो में समय निर्धारित है। पूर्ण फल प्राप्ति के लिए पूजा या साधना के मुहूर्त को ध्यान में रखकर सही समय पर ही आरम्भ और समापन करना चाहिए।
२:- माला
प्रत्येक जप के लिए विशेष माला निर्धारित है और हमेशा अपनी मनोकामना के अनुरूप ही माला का चयन करना चाहिए। जैसे :-
- तन्त्र सिद्धि के लिए शमशान में लागे हुए धतूरे की माला सर्वश्रेष्ठ होती है।
- सभी सिद्धियों के लिए, सभी मंत्रों के लिए रुद्राक्ष की माला प्रयोग कर सकते हैं।
- महालक्ष्मी की प्राप्ति के लिए कमलगट्टे की माला प्रयोग करनी चाहिए।
- पाप नाश के लिए कुशमूल की माला से जाप करना चाहिए।
- भक्ति की प्राप्ति के लिए या मोक्ष प्राप्ति के लिए तुलसी की माला प्रयोग करनी चाहिए।
- वशीकरण से संबंधित कार्यों में मूंगे की माला से जाप करना चाहिए।
- पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रजीवा की माला से जाप करें।
- नौकरी की प्राप्ति के लिए लाल हकीक की माला से जाप करें।
- विद्या प्राप्ति के लिए स्फटिक माला से मन्त्र जपें।
३:- आसन
मन्त्र एवं साधनाओं में आसन का भी अपना विशिष्ट महत्व है और इसे नज़र अंदाज करके आप सिद्धि की प्राप्ति नहीं कर सकते।
आईये जानिए कौन सा आसन दे सकता है आपको सिद्धि :-
- कामना सिद्धि के लिए ऊनी वस्त्र का आसन
- धन प्राप्ति के लिए रेशम का आसन
- ज्ञान प्राप्ति के लिए कुशासन
- शत्रु नाश के लिए व्याघ्र आसन
- सफलता के लिए मृगचर्म आसन
- सन्तान के लिए कुशासन
- गृहस्थ सुख के लिए ऊन का आसन
- शीघ्र विवाह के लिए लाल रेशम का आसन
- भाग्योदय के लिए लाल कम्बल का आसन
- सभी साधनाओं के लिए काले कम्बल का आसन
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