धर्म में विभिन्न धार्मिक कर्म-कांडों में फूलों का विशेष महत्व है। देव पूजा विधियों में कई तरह के फूल-पत्तों को चढ़ाना बड़ी ही शुभ माना गया है। धार्मिक अनुष्ठान, पूजन, आरती आदि कार्य बिना पुष्प के अधूरे ही माने जाते हैं। कुछ विशेष फूल देवताओं को चढ़ाना निषेध होता है। किंतु शास्त्रों में ऐसे भी फूल बताए गए हैं, जिनको चढ़ाने से हर देवशक्ति की कृपा मिलती है यह बहुत शुभ, देवताओं को विशेष प्रिय होते हैं और हर तरह का सुख-सौभाग्य बरसाते हैं। कौन से भगवान की पूजा किस फूल से करें, इसके बारे में यहां संक्षिप्त जानकारी दी जा रही है। इन फूलों को चढ़ाने से आपकी हर मनोकामना शीघ्र ही पूरी हो जाती है
हमारे जीवन में फूलों का काफी महत्व है। फूल ईश्वर की वह रचना है, जिसकी खुशबू से हमारे घर की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। इसकी खुशबू मन को शांति देती है। वैसे तो भगवान भक्ति के भूखे हैं, लेकिन हमारे देश में भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनपर उनके प्रिय फूलों को चढ़ाने की मान्यता भी है। कहा जाता है कि भगवान के पसंदीदा रंगों के आधार मानकर उनपर उन्हीं रंगों के फूल चढ़ाए जाते हैं। ध्यान रखें, भगवान की पूजा कभी भी सूखे फूलों से न करें। कमल का फूल को लेकर मान्यता यह है कि यह फूल दस से पंद्रह दिन तक भी बासी नहीं होता। चंपा की कली के अलावा किसी भी पुष्प की कली देवताओं को अर्पित नहीं की जानी चाहिए।
श्रीगणेश- आचार भूषण ग्रंथानुसार भगवान श्रीगणेश को तुलसीदल को छोड़कर सभी प्रकार के फूल चढ़ाए जा सकते हैं। पद्मपुराण आचाररत्न में भी लिखा है कि 'न तुलस्या गणाधिपम' अर्थात् तुलसी से गणेश जी की पूजा कभी न करें। गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा है। गणेश जी को दूर्वा बहुत ही प्रिय है । दूर्वा के ऊपरी हिस्से पर तीन या पांच पत्तियां हों तो बहुत ही उत्तम है।
शंकरजी- भगवान शंकर को धतूरे के पुष्प, हरसिंगार, व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के पुष्प चढ़ाने का विधान है। भगवान शंकर को धतूरे का फूल सबसे अधिक प्रिय है। इसके अलावा इनको बेलपत्र और शमी पत्र चढ़ाना बहुत ही शुभ माना जाता है। भगवान शिव जी को सेमल, कदम्ब, अनार, शिरीष , माधवी, केवड़ा, मालती, जूही और कपास के पुष्प नहीं चढ़ाये जाते है ।
सूर्य नारायण- इनकी उपासना कुटज के पुष्पों से की जाती है। इसके अलावा आक, कनेर, कमल, चंपा, पलाश, अशोक, बेला, आक, मालती, आदि के पुष्प भी प्रिय हैं। भविष्यपुराण में तो यहां तक कहा गया है कि सूर्य भगवान पर यदि एक आक का फूल चढ़ाया जाए तो इससे स्वर्ण की दस अशर्फियों को चढ़ाने जैसा ही फल मिल जाता है। भगवान सूर्य को लाल फूल बहुत ही पसंद है ।
भगवती गौरी- शंकर भगवान को चढऩे वाले पुष्प मां भगवती को भी प्रिय हैं। इसके अलावा बेला, सफेद कमल, पलाश, चंपा के फूल भी चढ़ाए जा सकते हैं।
माँ दुर्गा - माँ दुर्गा को लाल गुलाब और गुड़हल का फूल भी बहुत प्रिय है। माता दुर्गा जी को बेला, अशोक, माधवी, केवड़ा, अमलतास के फूल भी चढ़ाये जाते है । लेकिन माता को दूर्वा, तुलसीदल और तमाल के पुष्प भी नहीं चढ़ाये जाते है ।
श्रीकृष्ण- अपने प्रिय पुष्पों का उल्लेख महाभारत में युधिष्ठिर से करते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं- मुझे कुमुद, करवरी, चणक, मालती, नंदिक, पलाश व वनमाला के फूल प्रिय हैं।
लक्ष्मीजी- मां लक्ष्मी का सबसे अधिक प्रिय पुष्प कमल है। उन्हें पीला फूल चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता है। इन्हें लाल गुलाब का फूल भी काफी प्रिय है।
विष्णुजी- भगवान विष्णु को कमल, मौलसिरी, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, चंपा, वैजयंती के पुष्प विशेष प्रिय हैं। इनको इनको पीले फूल बहुत ही पसंद है । विष्णु भगवान तुलसी दल चढ़ाने से अति शीघ्र प्रसन्न होते है । कार्तिक मास में भगवान नारायण केतकी के फूलों से पूजा करने से विशेष रूप से प्रसन्न होते है । लेकिन विष्णु जी पर आक, धतूरा, शिरीष, सहजन, सेमल, कचनार और गूलर आदि के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए । विष्णु जी पर अक्षत भी नहीं चढ़ाये जाते है ।
सरस्वती जी - विद्या की देवी माँ सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए सफेद या पीले रंग का फूल चढ़ाएं जाते यही । सफेद गुलाब, सफेद कनेर या फिर पीले गेंदे के फूल से भी मां सरस्वती वहुत प्रसन्न होती हैं।
बजरंग बली- बजरंग बली को लाल या पीले रंग के फूल विशेष रूप से अर्पित किए जाने चाहिए। इन फूलों में गुड़हल, गुलाब, कमल, गेंदा, आदि का विशेष महत्व रखते हैं। हनुमानजी को नित्य इन फूलों और केसर के साथ घिसा लाल चंदन का तिलक लगाने से जातक की सभी मनोकामनाएँ शीघ्र ही पूरी होती है ।
शनि देव - शनि देव को नीले लाजवन्ती के फूल चढ़ाने चाहिए, इसके अतिरिक्त कोई भी नीले या गहरे रंग के फूल चढ़ाने से शनि देव शीघ्र ही प्रसन्न होते है।
किसी भी देवता के पूजन में केतकी के पुष्प नहीं चढ़ाए जाते
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