Buy Fast Growing Plants

Thursday, 30 November 2017


घर में पैसों की तंगी की वजह से कई बार कलह भी होती रहती है। इसके अलावा व्यक्ति मन-मुताबिक चीजें भी नहीं खरीद पाता है। आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए लोग काफी मेहनत भी करते हैं। फिर चाहे नौकरी को और अधिक समय देने की बात हो या फिर बिजनेस में सफलता पाने के लिए की गई मेहनत।

हालांकि, इससे कई बार सफलता नहीं मिल पाती है। ऐसे वक्त के लिए वास्तु में कुछ उपाय दिए गए हैँ। लोगों को वास्तु के इन उपायों को बुरे समय में जरूर ट्राय करना चाहिए। इससे काफी फायदा मिलता है।

करना हो पेमेंट तो चुनें ये दिन

आमतौर पर लोग दूसरे को पेमेंट करते या पैसा लेते समय दिन नहीं देखते हैं। जरूरत के हिसाब से लेन देन होता है। लेकिन वास्तु की मानें तो हफ्ते में दो दिन ऐसे हैं, जिस दिन लोगों को पैसों का लेन-देन करना चाहिए। ये दो दिन सोमवार और बुधवार है। इस दिन किया गया लेन देन हमेशा फायदेमंद साबित होता है।

मान्यता है कि घर में जब भी रोटी बनाएं तो सबसे पहली रोटी गाय को खिलानी चाहिए। रोटी नहीं तो थोड़ा चावल भी गाय को खिलाया जा सकता है। कहते हैं कि इससे लोगों के बंद भाग्य खुल जाते हैं और घर में दरिद्रता नहीं आती है।



अभी भी बड़ी संख्या में लोगों के घर में आटा गेहूं को पिसवा कर ही इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में उन लोगों को शनिवार को आटा पिसवाना चाहिए। वास्तु में शनिवार को आटा पिसवाना अच्छा माना गया है। इसके अलावा शनिवार को खाने में काले चले का भी उपयोग जरूर करना चाहिए।


आजकल लोग सुबह सुबह ही उठकर ऑफिस या कॉलेज के लिए तैयार होने लगते हैं। ऐसे में कई बार उन्हें घर में बिना झाड़ू लगाए ही नाश्ता देना पड़ता है। साफ-सफाई का अपना एक अहम स्थान है। इसी वजह से जब भी किसी को नाश्ता देना हो तो यह जरूर सुनिश्चत कर लें कि घर के किसी हिस्से में तब तक झाड़ू लग चुका है। इससे पॉजिटिव एनर्जी आती है।

आटे में चीनी मिलाकर काली चींटियों को खिलाने से खुलेंगे भाग्य

आटे में शक्कर मिलाकर काली चींटियों को जरूर खिलाना चाहिए। इससे घर में लगातार रह रही धन संबंधी दिक्कतें दूर होती हैं। नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान

माना जाता रहा है कि घर की साफ सफाई सूरज ढलने के पहले कर ली जानी चाहिए। यदि घर के सभी कमरों की सफाई सुबह उठते ही हो जाए तो और भी बेहतर है। घर में शाम के वक्त झाडू़ व पोछा नहीं करना चाहिए। इससे लक्ष्मी जी रूठ जाती हैं।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य व सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

परिवार में सुख-शांति बनाए रखने तथा आर्थिक लाभ के लिए सौभाग्यवर्धक माना जाता है।ये पौधा अवश्य लगाये







ज्यादातर लोग घरों में साज सजावट के लिए पौधे लगाते है। वैसे ही कुछ पौधे उनकी औषधीय गुणों के वजह से भी लगाएं जाते है। वास्तुशास्त्र में कुछ ऐसे पौधों के बारे में बताया गया है जिन्हें जोड़ों से लगाने से घर में सौभाग्य व आने वाली सारी परेशानी दूर हो जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि कुछ पौधे आपका भाग्य बदल सकते है। मोरपंखी का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर तो होता ही है साथ ही साथ ये आपके घर का भाग्य बदल सकता है। कहा जाता है कि घर पर कोई विपत्ति आने वाली हो, तो यह पौधा उसे घर में आने नहीं देता। मोरपंखी का पौधा लगाने से घर में बरकत आती हैं और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।

कहा जाता है कि संपूर्ण लाभ पाने के लिए इसे हमेशा जोड़े में लगाना चाहिए। इसकी नियमित रूप से पानी से सिंचाई करना बहुत जरूरी होता है। अगर इसे वक्त पर पानी न मिले तो तुरंत सूख जाता है। अगर यह पौधा किसी कारणवश सूख जाए, तो उसे हटाकर तुरंत नया पौधा लगा दें। घर में मोरपंखी का पौधा लगाना सौभाग्यवर्धक माना जाता है। परिवार में सुख-शांति बनाए रखने तथा आर्थिक लाभ के लिए इसे गमले में लगाकर मुख्य द्वार पर इस प्रकार रखें कि दोनों पौधे एक-दूसरे के सामने रहें। इससे जहां परिवार के सदस्य बुरी नजरों से बचे रहते हैं, वहीं घर पर आने वाली विपत्ति भी इस पौधे के प्रभाव से घर में प्रवेश नहीं कर पाती।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य व सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

Friday, 24 November 2017

धन आयु विद्या में वृद्धि और रोग दरिद्रता से बचने के लिए करें यह अतिउत्तम उपाय






शयन करने से पहले याद रखने योग्य बाते

शयन अर्थात सोना, नींद लेना। मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सभी शयन करते हैं। शयन किस तरह हमारे स्वास्थ्य और चेतना के लिए लाभदायी हो सकता है, इसके लिए शास्त्रों में अनेक निर्देश मिलतें हैं। जैसे - सोते समय हमारे पैर दक्षिण दिशा की ओर नहीं होने चाहिए।
* सदा पूर्व या दक्षिण की तरफ सिर करके सोना चाहिए। उत्तर या पश्चिम की तरफ सिर करके सोने से आयु क्षीण होती है तथा शरीर में रोग उत्पन्न होते हैं।
* पूर्व की तरफ सिर करके सोने से विद्या प्राप्त होती है। दक्षिण की तरफ सिर कर के सोने से धन तथा आयु की वृद्धि होती है। पश्चिम की तरफ सिर करके सोने से प्रबल चिन्ता होती है। उत्तर की तरफ सिर करके सोने से हानि तथा मृत्यु होती है।
* अधोमुख होकर, दूसरे की शय्या पर, टूटी हुई खाट पर तथा जनशून्य घर में नही सोना चाहिए।
* जो बडी न हो, टूटी हुई हो, ऊँची - नीची हो, मैली हो,अथवा जिसमें जीव हों या जिसपर कुछ बिछा हुआ न हो उस शय्या पर नही सोना चाहिए।
* टूटी खाट पर नही सोना चाहिए।
* बाँस या पलाशकी लकडीपर कभी नही सोना चाहिए।
* सिर को नीचा करके नही सोना चाहिए।
* दिगंबर अवस्था में नही सोना चाहिए।
* सूने घर में अकेला नही सोना चाहिए। देव मन्दिर और श्मशान में भी नही सोना चाहिए।
* अँधेरे में नही सोना चाहिए।
* भीगे पैर नही सोना चाहिए। सूखे पैर सोने से लक्ष्मी प्राप्त होती है।
* निद्रा के समय मुख से ताम्बूल, शय्या से स्त्री, ललाट से तिलक,और सिर से पुष्प का त्याग कर देना चाहिए।
* रात्रि में पगडी बाँधकर नही सोना चाहिए।.
* दिन में कभी नही सोना चाहिए।
* दिन में और दोनों सन्ध्याओं के समय जो नींद लेता है,वह रोगी और दरिद्र होता है।
* जिसके सोते-सोते सूर्योदय अथवा सूर्यास्त हो जाय, वह महान पाप का भागी होता है।
* स्वस्थ मनुष्य को आयु की ऱक्षा के लिए ब्राह्ममुहूर्त में उठना चाहिए।
* किसी सोते हुए मनुष्य को नही जगाना चाहिए।
* विद्यार्थी, नौकर, पथिक, भूख से पीडित, भयभीत, भण्डारी, और द्वारपाल ये सोये हुए हों तो इन्हें जगा देना चाहिए।
* जूठे मुँह नही सोना चाहिए।
* रात के पहले और पिछले भाग में नींद नही लेनीचाहिए। रात के प्रथम और चतुर्थ प्रहर को छोडकर दूसरे और तीसरे प्रहर में सोना उत्तम होता है।

Monday, 20 November 2017

ये छोटी सी चीज कई बीमारियों को जड़ से मिटाती है अवश्य ही जाने इसके खास गुण





हींग का उपयोग आमतौर पर दाल-सब्जी में डालने के लिए किया जाता है इसलिए इसे `बघारनी´ के नाम से भी जाना जाता है। हींग फेरूला फोइटिस नामक पौधे का चिकना रस है। इसका पौधा 60 से 90 सेमी तक ऊंचा होता है। ये पौधे-ईरान, अफगानिस्तान, तुर्किस्तान, ब्लूचिस्तान, काबुल और खुरासन के पहाड़ी इलाकों में अधिक होते हैं। हींग के पत्तों और छाल में हलकी चोट देने से दूध निकलता है और वहीं दूध पेड़ पर सूखकर गोंद बनता हैं उसे निकालकर पत्तों या खाल में भरकर सुखा लिया जाता है। सूखने के बाद वह हींग के नाम से जाना जाता है। मगर वैद्य लोग जो हींग उपयोग में लाते हैं। वह हीरा हींग होती है और यही सबसे अच्छी होती है।
हमारे देश में इसकी बड़ी खपत है। हींग बहुत से रोगों को खत्म करती है। वैद्यों का कहना है कि हींग को उपयोग लाने से पहले उसे सेंक लेना चाहिए। चार प्रकार के हींग बाजारों में पाये जाते हैं जैसे कन्धारी हींग, यूरोपीय वाणिज्य का हींग, भारतवर्षीय हींग, वापिंड़ हींग।
हींग पुट्ठे और दिमाग की बीमारियों को खत्म करती है जैसे मिर्गी, फालिज, लकवा आदि। हींग आंखों की बीमारियों में फायदा पहुंचाती है। खाने को हजम करती है, भूख को भी बढ़ा देती है। गरमी पैदा करती है और आवाज को साफ करती हैं। हींग का लेप घी या तेल के साथ चोट और बाई पर करने से लाभ मिलता है तथा हींग को कान में डालने से कान में आवाज़ का गूंजना और बहरापन दूर होता है।
हींग जहर को भी खत्म करती है। हवा से लगने वाली बीमारियों को भी हींग मिटाती है। हींग हलकी, गर्म और और पाचक है। यह कफ तथा वात को खत्म करती है। हींग हलकी तेज और रुचि बढ़ाने वाली है। हींग श्वास की बीमारी और खांसी का नाश करती है। इसलिए हींग एक गुणकारी औषधि है।
आजकल हर घर मे कोई न कोई सदस्य किसी ना किसी बीमारी से परेशान रहता है फिर चाहे वो डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, एसिडिटी और जोड़ो का दर्द ही क्यों ना हो । वर्तमान में आधुनिक जीवनशैली, गलत खान-पान और असन्तुलित रहन सहन के कारण ये सब बीमारिया आम हो गयीं है।
और अगर आप छोटी छोटी बीमारियों में अंग्रेज़ी दवा लेने लग जाते है तो बहुत गलत करते है क्योंकि इससे आपकी किडनी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके बदले आप इन बीमारियों से बचनें के लिए आयुर्वेदिक युक्तियों का सहारा ले तो यह आपके लिए ज्यादा अच्छा होगा। हम आपको आज एकनाइसी ही आयुर्वेदिक युक्ति बताते है जिसका उपगोग कर के आप खुद को स्वस्थ रख सकते है।
आवश्यक सामग्री – गेंहु के दाने बराबर हींग  और 1 गिलास पानी
बनाने की विधि और सेवन का तरिका
सबसे पहले आप 1 गिलास हल्के गुन-गुने पानी में लगभग एक गेंहु के दाने बराबर हींग को पानी में घोल ले, फिर इसका सेवन बेठकर करे। अगर आप एसिडिटी, डायबिटीज, खून की कमी और जोड़ो के दर्द से बचना चाहते है तो आप रोज़ाना सुबह हींग के पानी का सेवन करना शुरू कर दे क्योंकि इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते है जो हमारे डाइजेशन सिस्टम को ठीक करते है । सिर्फ इतना ही नहीं हींग का पानी आपकी हड्डियों और दांतों को भी मजबूत बनाता है और यह अस्थमा के रोगियों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है।


सर्दी को जड़ से मिटाता यह लाभकारी उपाय अवश्य करे








लहसुन का प्रयोग दुनिया के लगभग हर देश मे किया जाता है। इसका प्रयोग हर जगह खाना बनाने और मसाले के रूप में किया जाता है। लहसुन स्वाद बढ़ाने के साथ ही औषधि के रूप मे भी प्रयोग किया जा सकता है। लहसुन का सेवन करने से बहुत सारी बीमारियॉ शरीर से गायब हो जाती हैं । आज हम आपको बता रहे हैं कि सोते वक्त लहसुन खाने से आपको क्या क्या लाभ मिलते हैं ।

सोते वक्त लहसुन खाने से लाभ क्यों होता है :-
लहसुन में विटामिन ए, बी काम्प्लेक्स और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है | और इसके साथ ही लहसुन में और भी बहुत से ऐसे खनिज तत्व पाए जाते है जो हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होते है । इसके नियमित सेवन से शरीर में तीनों दोष वात पित्त और कफ सन्तुलित होते हैं और शरीर आने वाले रोगों से लड़ने के लिये मजबूत बनता है । यह एक बहुत उत्तम रसायन भी होता है ।

सोते वक्त लहसुन खाने का लाभ नम्बर एक :-
लहसुन में ऐसे तत्व पाए जाते है जिससे यह हमें पेट के होने वाले कैंसर से बचाता है | लहसुन के ऊपर होने वाली आधुनिक रिसर्चों के अध्ययन से पता चलता है कि यह शरीर में कैंसर को पैदा करने वाले हानिकारक फ्री रैडिकल तत्वों को नष्ट करता है जिसके कारण भविष्य में कैन्सर होने की सम्भावना बहुत कम हो जाती हैं ।

सोते वक्त लहसुन खाने का लाभ नम्बर दो :-
अगर आपको ठण्ड लग गयी है तो रात को सोते समय आप मात्र 2 लहसुन खाकर सो जाए।इससे आपको ठंड से तुरंत राहत मिल जाएगी। लहसुन शरीर में शीत प्रधान वायु का शमन करता है और जरूरी ऊष्मा पैदा करता है जिस कारण ठण्ड से ग्रस्त शरीर को आराम मिलता है और सर्दी का प्रकोप कम होता है ।

सोते वक्त लहसुन खाने का लाभ नम्बर तीन :-
लहसुन के रस का सेवन आपके खून में कॉलेस्ट्रोल के ऑक्सीकरण को रोकता है और साथ ही साथ में दिल से संबंधी बिमारियों को भी कम करता है। सोते वक्त लहसुन के नियमित सेवन से शरीर में जमा नुक्सान करने वाला कोलेस्ट्रॉल खत्म होने लगता है जिस कारण से यह बहुत ही उत्तम परिणाम देने वाला बन जाता है ।



सोते वक्त लहसुन खाने का लाभ नम्बर चार :-
लहसुन के नियमित सेवन से खून की सफाई होती है और यह त्वचा पर होने वाले संक्रमण को समाप्त करता है । अगर आपके पैर या कान में कोई भी फंगल इन्फेक्शन हो गया है तो लहसुन आपके बहुत काम आ सकता है। इसलिये इस तरह की समस्या के ज्यादा बढ़ जाने पर आपको सोते वक्त लहसुन की दो कलियॉ जरूर खानी चाहिये ।

सोते वक्त लहसुन खाने का लाभ नम्बर पाँच :-
जिन लोगो को ब्लड प्रेशर से संबंधित कोई समस्या है उन्हें लहसुन का सेवन जरूर करना चाहिए।यह हमारे हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है | लहसुन सभी तरह के हृदय विकारों के लिए बहुत उत्तम माना जाता है जिस कारण से बढ़े हुए रक्तचाप की दशा में इसका सेवन विशेष रूप से लाभकारी होता है ।
सोते वक्त लहसुन खाने से मिलने वाले स्वास्थय लाभों की जानकारी वाला यह लेख आपको अच्छा और लाभकारी लगा हो तो कृपया लाईक और शेयर जरूर कीजियेगा । आपके एक शेयर से ही किसी जरूरतमंद तक सही जानकारी पहुँचती है और हमको भी आपके लिए और बेहतर लेख लिखने की प्रेरणा मिलती है । इस लेख के समबन्ध में आपके कुछ सुझाव हों तो कृपया कमेण्ट के माध्यम से हमको जरूर सूचित करें ।





Saturday, 18 November 2017

सफलता कदम चूमेगी बिगड़े कार्य बन जाएंगे यदि आप करते है यह अति उत्तम उपाय






हर दिन घर से निकलने से पहले हमारी आकांक्षा होती है कि पूरा दिन खुशनुमा व्यतीत हो। हर काम में सफलता मिले। 3 बहुत ही आसान से उपाय दिन को अनुकूल बनाते हैं।

घर से किसी भी शुभ कार्य के लिए निकलते समय पहले 'श्री गणेशाय नम:' बोलें फिर विपरीत दिशा में 4 पग जाएं, इसके बाद कार्य पर चले जाएं, कार्य जरूर बनेगा।

घर से निकलते वक्त

हर दिन घर से निकलने से पहले हमारी आकांक्षा होती है कि पूरा दिन खुशनुमा व्यतीत हो। हर काम में सफलता मिले। 3 बहुत ही आसान से उपाय दिन को अनुकूल बनाते हैं।

घर से किसी भी शुभ कार्य के लिए निकलते समय पहले 'श्री गणेशाय नम:' बोलें फिर विपरीत दिशा में 4 पग जाएं, इसके बाद कार्य पर चले जाएं, कार्य जरूर बनेगा।

घर से निकलते वक्त गुड़ खाकर व थोड़ा-सा पानी पीकर ही जाए, तो कार्य में सफलता मिलेगी।

घर की दहलीज के बाहर कुछ काली मिर्ची के दाने बिखेर दें और उस पर से पैर रखकर निकल जाएं फिर पीछे पलटकर न देंखे। उक्त उपाय से बिगड़े कार्य बन जाएंगे।


 गुड़ खाकर व थोड़ा-सा पानी पीकर ही जाए, तो कार्य में सफलता मिलेगी।

घर की दहलीज के बाहर कुछ काली मिर्ची के दाने बिखेर दें और उस पर से पैर रखकर निकल जाएं फिर पीछे पलटकर न देंखे। उक्त उपाय से बिगड़े कार्य बन जाएंगे।


वास्तु दोषों के स्वत: निवारण हेतु अवश्य करे यह महत्वपूर्ण एवं आसान उपाय



जिस स्थान पर भवन, घर का निर्माण करना हो, यदि वहां पर बछड़े वाली गाय को

लाकर बांधा जाए तो वहां संभावित वास्तु दोषों का स्वत: निवारण हो जाता है, कार्य

निर्विघ्न पूरा होता है और समापन तक आर्थिक बाधाएं नहीं आतीं।
गाय के प्रति भारतीय आस्था को अभिव्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है; क्योंकि

गाय सहज रूप से भारतीय जनमानस में रची-बसी है। गोसेवा को एक कर्तव्य के

रूप में माना गया है। गाय सृष्टिमातृका कही जाती है। गाय के रूप में पृथ्वी की

करुण पुकार और विष्णु से अवतार के लिए निवेदन के प्रसंग पुराणों में बहुत

प्रसिद्ध हैं। 'समरांगणसूत्रधार'- जैसा प्रसिद्ध बृहद वास्तु ग्रंथ गोरूप में

पृथ्‍वी-ब्र्ह्मादि के समागम-संवाद से ही आरंभ होता है।

वास्तु ग्रंथ 'मयमतम्' में कहा गया है कि भवन निर्माण का शुभारंभ करने से पूर्व

उस भूमि पर ऐसी गाय को लाकर बांधना चाहिए, जो सवत्सा (बछड़े वाली) हो।

नवजात बछड़े को जब गाय दुलारकर चाटती है तो उसका फेन भूमि पर गिरकर

उसे पवि‍त्र बनाता है और वहां होने वाले समस्त दोषों का निवारण हो जाता है। यही

मान्यता वास्तुप्रदीप, अपराजितपृच्‍छा आदि ग्रंथों में भी है। महाभारत के अनुशासन

पर्व में कहा गया है कि गाय जहां बैठकर निर्भयतापूर्वक सांस लेती है तो उस स्थान

के सारे पापों को खींच लेती है-

नि‍विष्टं गोकुलं यत्र श्वासं मुञ्चति निर्भयम्।
विराजयति तं देशं पापं चास्यापकर्षति।।

यह भी कहा गया है कि जिस घर में गाय की सेवा होती है, वहां पुत्र-पौत्र, धन,

विद्या, आदि सुख जो भी चाहिए, मिल जाता है। यही मान्यता अत्रि सं‍हिता में भी

आई है। महर्षि अत्रि ने तो यह भी कहा है कि जिस घर में सवत्सा धेनु नहीं है,

उसका मंगल-मांगल्य कैसे होगा?
गाय का घर में पालन करना बहुत लाभकारी है। इससे घरों में सर्व बाधाओं और

विघ्नों का निवारण हो जाता है। बच्चों में भय नहीं रहता। विष्णु पुराण में कहा गया

है कि जब श्रीकृष्ण पूतना के दुग्धपान से डर गए तो नंद दंपति ने गाय की पूंछ

घुमाकर उनकी नजर उतारी और भय का निवारण किया। सवत्सा गाय के शकुन

लेकर यात्रा में जाने से कार्य सिद्ध होता है।

पद्मपुराण और कूर्मपुराण में कहा गया है कि कभी गाय को लांघकर नहीं जाना

चाहिए। किसी भी साक्षात्कार, उच्च अधिकारी से भेंट आदि के लिए जाते समय

गाय के रंभाने की ध्वनि कान में पड़ना शुभ है। संतान-लाभ के लिए गाय की सेवा

अच्छा उपाय कहा गया है। शिवपुराण एवं स्कंदपुराण में कहा गया है कि गोसेवा

और गोदान से यम का भय नहीं रहता। गाय के पांव की धूलिका का भी अपना

महत्व है।


यह पापविनाशक है, ऐसा गरूड़पुराण और पद्मपुराण का मत है। ज्योतिष एवं

धर्मशास्त्रों में बताया गया है कि गोधूलि वेला विवाहादि मंगल कार्यों के लिए

सर्वोत्तम मुहूर्त है। जब गायें जंगल से चरकर वापस घर को आती हैं, उस समय को

गोधूलि वेला कहा जाता है। गाय के खुरों से उठने वाली धूल राशि समस्त

पाप-तापों को दूर करने वाली है।

पंचगव्य एवं पंचामृत की महिमा से सर्वविदित हैं ही। गोदान की महिमा से कौन

अपरिचित है! ग्रहों के अरिष्ट-निवारण के लिए गोग्रास देने तथा गौ के दान की विधि

ज्योतिष ग्रंथों में विस्तार से निरूपित है। इस प्रकार गाय सर्वविध कल्याणका‍री ही

है।

ग्रहों का दोष शांत करने के लिए करें यह महत्व पूर्ण उपाय सफलता अवश्य प्राप्त होगी




हनुमान जी की आराधना से ग्रहों का दोष शांत हो जाता है। हनुमान जी और सूर्यदेव एक दूसरे के स्वरूप हैं, इनकी परस्पर मैत्री अति प्रबल मानी गई है। इसलिए हनुमान साधना करने वाले साधकों में सूर्य तत्व अर्थात आत्मविश्वास, ओज, तेजस्विता आदि स्वत: ही आ जाते हैं।

लेकिन ध्यान रखें यह 10 बातें...

* हनुमान साधना में शुद्धता एवं पवित्रता अनिवार्य है।

*
प्रसाद शुद्ध घी का बना होना चाहिए।

*
हनुमान जी को तिल के तेल में मिले हुए सिंदूर का लेपन करना चाहिए।

* हनुमान जी को केसर के साथ घिसा लाल चंदन लगाना चाहिए।

* पुष्पों में लाल, पीले बड़े फूल अर्पित करने चाहिए। कमल, गेंदे, सूर्यमुखी के फूल अर्पित करने पर हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।
*
नैवेद्य में प्रातः पूजन में गुड़, नारियल का गोला और लड्डू, दोपहर में गुड़, घी और गेहूं की रोटी का चूरमा
अर्पित करना चाहिए। रात्रि में आम, अमरूद, केला आदि फलों का प्रसाद अर्पित करें।

* साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन अति अनिवार्य है।

* जो नैवेद्य हनुमान जी को अर्पित किया जाता है उसे साधक को ग्रहण करना चाहिए।

* मंत्र जप बोलकर किए जा सकते हैं। हनुमान जी की मूर्ति के समक्ष उनके नेत्रों की ओर देखते हुए मंत्रों के जप करें।

* साधना में दो प्रकार की मालाओं का प्रयोग किया जाता है। सात्विक कार्य से संबंधित साधना में रुद्राक्ष माला तथा तामसी एवं पराक्रमी कार्यों के लिए मूंगे की माला।




अशुभ गुरु को शुभ फल दायक बनाने के कुछ सरल रामबाण उपाय



१:- २१ गुरुवार तक बिना क्रम तोड़े हर गुरुवार का व्रत रख कर भगवान् विष्णु के मंदिर में पूजा के उपरांत पंडित जी से लाल या पीले चन्दन का तिलक लगवाए तथा यथा शक्ति बूंदी के लड्डू का प्रसाद चढ़ा कर बालको में बाँटना चाहिए। इससे लड़की या लड़के के विवाह आदि सुख संबंधों में पड़ने वाली बाधाएं दूर होती है।
२:- भगवान् विष्णु के मंदिर में किसी शुक्ल पक्ष से शुरू करके २७ गुरुवार तक प्रत्येक गुरुवार चमेली या कमल का फूल तथा कम से कम पांच केले चढाने से मनोकामना पूर्ण होती है।
३:-  गुरुवार के दिन गुरु की ही होरा में बिना सिले पीले रेशमी रुमाल में हल्दी की गाँठ या केले की जड़ को बांधकर रखे, इसे गुरु के बीज मंत्र ("ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः") की ३ माला जप कर गंगाजल के छींटे लगा कर पुरुष दाहिनी भुजा तथा स्त्री बाई भुजा पर धारण करे इससे भी बृहस्पति के अशुभ फलों में कमी आती है।
४:-  गुरु पुष्य योग में या गुरु पूर्णिमा के दिन , बसंत पंचमी के दिन, अक्षय तृतीया या अपने तिथि अनुसार जन्मदिन के अवसर पर श्री शिवमहापुराण, भागवत पुराण, विष्णुपुराण, रामायण, गीता, सुंदरकांड, श्री दुर्गा शप्तशती आदि ग्रंथो का किसी विद्वान् ब्राह्मण को दान करना अतिशुभ होता है।
५:- किसी भी शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार से आरम्भ कर रात में भीगी हुई चने की दाल को पीसकर उसमें गुड़ मिलाकर रोटियां लगातार २१ गुरुवार गौ को खिलाने से विवाह में आरही अड़चने दूर होती है। किसी कारण वश गाय ना माइक तो २१ गुरुवार ब्राह्मण दंपति को खीर सहित भोजन करना शुभ होता है।
६:-  जन्म कुंडली में गुरु यदि उच्चविद्या, संतान, धन आदि पारिवारिक सुखों में बाधाकारक हो तो जातक को माँस, मछली शराब आदि तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। अपना चाल-चलान भी शुद्ध रखना चाहिए।
७:-  कन्याओं के विवाहादि पारिवारिक बाधाओं की निवृत्ति के लिए श्री सत्यनारायण अथवा गुरुवार के २१ व्रत रख कर मंदिर में आटा, चने की दाल, गेंहू, गुड़, पीला रुमाल, पीले फल आदि दान करने के बाद केले के वृक्ष का पूजन एवं मनोकामना बोलकर मौली लपेटते हुए ७ परिक्रमा करनी चाहिए।
८:- यदि पंचम भाव अथवा पुत्र संतान के लिए गुरु बाधा कारक हो तो हरिवंशपुराण एवं श्री सन्तानगोपाल या गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ जप करना चाहिए।
९:-  गुरु कृत अरिष्ट एवं रोग शांति के लिए प्रत्येक सोमवार और वीरवार को श्री शिवसहस्त्र नाम का पाठ करने के बाद कच्ची लस्सी, चावल, शक्कर आदि से शिवलिंग का अभिषेक करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
१०:- इसके अतिरिक्त गुर जनित अरिष्ट की शांति के लिए ब्राह्मण द्वारा विधि विधान से गुरु के वैदिक मन्त्र का जप एवं दशांश हवन,
करवाने से अतिशीघ्र शुभ फल प्रकट होते है।
११:-  पुखराज ८, ९, या १२ रत्ती को सोने की अंगूठी में पहनने से बल, बुद्धि, स्वास्थ्य, एवं आयु वृद्धि, वैवाहिक सुख, पुत्र-संतानादि कारक एवं धर्म-कर्म में प्रेरक होता है। इससे प्रेत बाधा एवं स्त्री के वैवाहिक सुख की बाधा में भी कमी आती है।
१२:- शुक्ल पक्ष के गुरूवार को, गुरु पुष्य योग, गुरुपूर्णिमा अथवा पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद आदि नक्षत्रो के शुभ संयोग में विधि अनुसार गुरु मन्त्र उच्चारण करते हुए सभी गुरु औषधियों को गंगा जल मिश्रित शुद्ध जल में मिला कर स्नान करने से पीलिया, पांडुरोग, खांसी, दंतरोग, मुख की दुर्गन्ध, मंदाग्नि, पित्त-ज्वर, लीवर में खराबी, एवं बवासीर आदि गुरु जनित अनेक कष्टो की शांति होती है।


Friday, 17 November 2017

संवर जाएंगे सात जन्म, सभी कामनाएं हो जाएंगी पूर्ण और हर दुख दूर करता हैं ये मंत्र जानने के लिए अवश्य पढ़ें


वैदिक परंपरा में मंत्रोच्चारण का विशेष महत्व माना गया है. अगर सही तरीके से 

मंत्रों का उच्चारण किया जाए तो यह जीवन की दिशा ही बदल सकते हैं.

बहुत से लोग मंत्रों को सही तरीके से उच्चारित नहीं कर पाते और जब मनचाहा 

फल प्राप्त नहीं होता तो उनका विश्वास डगमगाने लगता है. इसलिए आज मैं 

आपको एक ऐसा मंत्र बताने जा रही हूं जिसे सुनने या पढ़ने मात्र से आपकी 

समस्याओं का समाधान निकलने लगता है.

शास्त्रों में ब्रह्मा जी को सृष्ष्टि का सृजनकार, महादेव को संहारक अौर भगवान 

विष्णु को विश्व का पालनहार कहा गया है. हिंदू धर्म में विष्णु सहस्रनाम सबसे 

पवित्र स्त्रोतों में से एक माना गया है.

इसमे भगवान विष्णु के एक हजार नामों का वर्णन किया गया है. मान्यता है कि 

इसके पढ़ने-सुनने से इच्छाएं पूर्ण होती हैं.ये स्त्रोत संस्कृत में होने से आम लोगों को 

पढ़ने में कठिनाई आती है इसलिए इस सरल से मंत्र का उच्चारण करके वैसा ही 

फल प्राप्त कर सकते हैं जो विष्णु सहस्रनाम के जाप से मिलता है.
यह है अत्यन्त शक्तिशाली मन्त्र..shaktishali mantra

” नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे.
सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:.. “

जीवन में आने वाली किसी भी तरह कि बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन 








सुबह इस मंत्र का जाप करें.

महाभारत के ‘अनुशासन पर्व’ में भगवान विष्णु के एक हजार नामों का वर्णन 

मिलता है. जब भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर थे उस समय युधिष्ठिर ने उनसे 

पूछा कि, “कौन ऐसा है, जो सर्व व्याप्त है और सर्व शक्तिमान है?” तब उन्होंने 

भगवान विष्णु के एक हजार नाम बताए थे.

भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि हर युग में इन नामों को पढ़ने या 

सुनने से लाभ प्राप्त किया जा सकता है. यदि प्रतिदिन इन एक हजार नामों का 

जाप किया जाए तो सभी मुश्किलें हल हो सकती हैं.

विष्णु सहस्रनाम को अौर भी बहुत सारे नामों से जाना जाता है जैसे- शम्भु, शिव, 

ईशान और रुद्र. इससे ज्ञात होता है कि शिव अौर विष्णु में कोई अंतर नहीं है ये 

एक समान हैं.

विष्णु सहस्रनाम के जाप में बहुत सारे चमत्कार समाएं हैं. इस मंत्र को सुनने मात्र 

से संवर जाएंगे सात जन्म, सभी कामनाएं हो जाएंगी पूर्ण और हर दुख का हो 

जाएगा अंत.


भविष्य,के शुभ संकेत और अशुभ संकेत दर्शाती हैं।ये रेखाएं जानने के लिये अवश्य पढें यह आवश्यक जानकारी


हस्तरेखा (hastrekha) शास्त्र में हथेली की रेखाओं ( palmistry lines )का विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म मे हस्त रेखाओ ( hast rekha ) को बड़ा ही महत्त्व दिया गया है | यह रेखाएं व्यक्ति का भविष्य, शुभ संकेत और अशुभ संकेत दर्शाती हैं। इन संकेतो का निर्माण व्यक्ति के विचार और कर्मों पर भी निर्भर होता है। हत्थे मे कई प्रकार की हस्त रेखाएं (hast rekha in hindi) होती है जो अपने नाम के अनुसार परिणाम देती है| हस्त रेखाओ की सम्पूर्ण जानकारी नीचे पढ़िए |

मस्तिष्क रेखा | Mastishk Rekha

हस्त रेखाओ मे से एक  मस्तिष्क रेखा का आरंभ तर्जनी उंगली के नीचे से होता हुआ हथेली के दूसरे तरफ जाता है जब तक उसका अंत न हो । ज्यादातर, यह रेखा जीवन रेखा के आरंभिक बिन्दु को स्पर्श करती है। यह रेखा व्यक्ति के मानसिक स्तर और बुद्धि के विश्लेषण को, सीखने की विशिष्ट विधा, संचार शैली और विभिन्न क्षेत्रों के विषय मे जानने की इच्छा को दर्शाती है।

हृदय रेखा | Hriday Rekha

हस्त रेखाओ मे से एक  हृदय रेखा का उद्गम कनिष्ठा उंगली के नीचे से हथेली को पार करता हुआ तर्जनी उंगली के नीचे समाप्त होता है। यह हथेली के उपरी हिस्से में उंगलियों के ठीक नीचे होती है। यह हृदय के प्राकृतिक और मनोवैज्ञानिक स्तर को दर्शाती है। यह रोमांस कि भावनाओं, मनोवैज्ञानिक सहनशक्ति, भावनात्मक स्थिरता और अवसाद की संभावनाओं का विश्लेषण करने के साथ ही साथ हृदय संबंधित विभिन्न पहलुओं की भी व्याख्या करती है।

जीवन रेखा | Jeevan Rekha

हस्त रेखाओ मे से एक  जीवन रेखा अंगूठे के आधार से निकलती हुई, हथेली को पार करते हुए वृत्त के आकार मे कलाई के पास समाप्त होती है। यह सबसे विवादास्पद रेखा है। यह रेखा शारीरिक शक्ति और जोश के साथ शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की भी व्याख्या करती है। शारीरिक सुदृढ़ता और महत्वपूर्ण अंगों के साथ समन्वय, रोग प्रतिरोधक क्षमता और स्वास्थ्य का विश्लेषण करती है।

भाग्य रेखा | Bhagya Rekha

हस्त रेखाओ ( palmistry in hindi  ) मे से एक  भाग्य रेखा कलाई से आरंभ होती हुई चंद्र पर्वत से होते े हुये जीवन रेखा या मस्तिष्क या हृदय रेखा तक जाती है। यह रेखा उन तथ्यों को भी दर्शाती जो व्यक्ति के नियंत्रण के बाहर हैं, जैसे शिक्षा संबंधित निर्णय, कैरियर विकल्प, जीवन साथी का चुनाव और जीवन मे सफलता एवं विफलता आदि।

सूर्य रेखा | Surya Rekha

हस्त रेखाओ मे से एक  सूर्य रेखा को अपोलो रेखा, सफलता की रेखा या बुद्धिमत्ता की रेखा के नाम से भी जाना जाता है। यह रेखा कलाई के पास चंद्र पर्वत से निकलकर अनामिका तक जाती है। यह रेखा व्यक्ति के जीवन मे प्रसिद्धि, सफलता और प्रतिभा की भविष्यवाणी करती है।

स्वास्थ्य रेखा | Swasthya Rekha

हस्त रेखाओ ( hastrekha hindi ) मे से एक  स्वास्थ्य रेखा को बुध रेखा के रूप में भी जाना जाता है । यह कनिष्ठा के नीचे बुध पर्वत से आरंभ हो कर कलाई तक जाती है। इस रेखा द्वारा लाइलाज बीमारी को जाना जा सकता है। इसके द्वारा व्यक्ति के सामान्य स्वास्थ्य की भी जानकारी मिलती है।

यात्रा रेखाएँ | Yatra Rekha

ये क्षैतिज रेखाएं कलाई और हृदय रेखा के बीच हथेली के विस्तार पर स्थित है। यह रेखाएं व्यक्ति की यात्रा की अवधि की व्याख्या, यात्रा में बाधाओं और सफलता का सामना तथा यात्रा मे व्यक्ति के स्वास्थ्य की दशा को भी दर्शाती है।

विवाह रेखा | Vivah Rekha

हस्त रेखाओ ( hastrekha in hindi  ) मे से एक  क्षैतिज रेखाएं कनिष्ठा के बिल्कुल नीचे और हृदय रेखा के ऊपर स्थित विवाह रेखाएं कहलाती है। यह रेखाएं रिश्तों में आत्मीयता, वैवाहिक जीवन में खुशी, वैवाहिक दंपती के बीच प्रेम और स्नेह के अस्तित्व को दर्शाता है। विवाह रेखा का विश्लेषण करते समय शुक्र पर्वत और हृदय रेखा को भी ध्यान मे रखना चाहिये।

करधनी रेखाएं | Kardhani Rekha

हस्त रेखाओ ( hast rekha gyan ) मे से एक  करधनी रेखा का आरंभ अर्धवृत्त आकार में कनिष्ठा और अनामिका उंगली के मध्य में और अंत मध्यमा उंगली और तर्जनी पर होता है। इसे गर्डल रेखा या शुक्र का गर्डल भी कहते हैं। यह व्यक्ति को अति संवेदनशील और उग्र बनाती है। जिन व्यक्तियों मे गर्डल या शुक्र रेखा पाई जाती है वह व्यक्ति की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है।

सिमीयन रेखा | Simian Rekha

हस्त रेखाओ ( hastrekha gyan ) मे से एक  जो रेखा हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा को गठित करती है। सिमीयन रेखा, सिमीयन फोल्ड, सिमीयन क्रीज और ट्रांस्वर्स पाल्मर क्रीज़ के रुप में भी जानी जाती है। यह एक दुर्लभ रेखा है, मस्तिष्क और हृदय के संयोजन का प्रतिनिधित्व करती है। यह सिमीयन रेखा व्यक्ति मे मानसिक धैर्य और संवेदनशीलता को दर्शाती है।






Thursday, 16 November 2017

आप उच्च अधिकारी बनकर रहेंगे यदि आप के हाथ में हो यह निशान



हस्तरेखा ज्योतिष में लोगों की हाथों की लकीरें देखकर उनके स्वभाव के बारे में उनके भविष्य के बारे में कई चीजें पता लागाई जा सकती है। वैसे ही व्यक्ति की उंगलियों से भविष्य का इशारा मिलता है। कहा जाता है कि लोगों की उंगली देखकर कुछ खास बातें पता लगती है। आइए जानते है कुछ खास बातें:
जिस व्यक्ति की हथेली में कनिष्ठिका, अनामिका उंगली का तीसरा पोर स्पर्श करे या उससे ऊपर निकल जाए, सूर्य पर्वत स्पष्ट उभार लिए हो साथ ही सूर्य रेखा गहरी हो, सूर्य पर्वत पर त्रिभुज, चतुर्भुज, वृत्त या नक्षत्र का चिन्ह हो तो ऐसा व्यक्ति सिविल सर्विसेज में पद प्राप्त करता है। जिन हाथों में कनिष्ठिका, अनामिका के तृतीय पर्व को स्पर्श करे, मंगल पर्वत या जीवन रेखा से कोई रेखा निकल कर सूर्य पर्वत को स्पर्श कर ले तो जातक उच्च अधिकारी बनता है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)