शयन करने से पहले याद रखने योग्य बाते
शयन अर्थात सोना, नींद लेना। मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सभी शयन करते हैं। शयन किस तरह हमारे स्वास्थ्य और चेतना के लिए लाभदायी हो सकता है, इसके लिए शास्त्रों में अनेक निर्देश मिलतें हैं। जैसे - सोते समय हमारे पैर दक्षिण दिशा की ओर नहीं होने चाहिए।
* सदा पूर्व या दक्षिण की तरफ सिर करके सोना चाहिए। उत्तर या पश्चिम की तरफ सिर करके सोने से आयु क्षीण होती है तथा शरीर में रोग उत्पन्न होते हैं।
* पूर्व की तरफ सिर करके सोने से विद्या प्राप्त होती है। दक्षिण की तरफ सिर कर के सोने से धन तथा आयु की वृद्धि होती है। पश्चिम की तरफ सिर करके सोने से प्रबल चिन्ता होती है। उत्तर की तरफ सिर करके सोने से हानि तथा मृत्यु होती है।
* अधोमुख होकर, दूसरे की शय्या पर, टूटी हुई खाट पर तथा जनशून्य घर में नही सोना चाहिए।
* जो बडी न हो, टूटी हुई हो, ऊँची - नीची हो, मैली हो,अथवा जिसमें जीव हों या जिसपर कुछ बिछा हुआ न हो उस शय्या पर नही सोना चाहिए।
* टूटी खाट पर नही सोना चाहिए।
* बाँस या पलाशकी लकडीपर कभी नही सोना चाहिए।
* सिर को नीचा करके नही सोना चाहिए।
* दिगंबर अवस्था में नही सोना चाहिए।
* सूने घर में अकेला नही सोना चाहिए। देव मन्दिर और श्मशान में भी नही सोना चाहिए।
* अँधेरे में नही सोना चाहिए।
* भीगे पैर नही सोना चाहिए। सूखे पैर सोने से लक्ष्मी प्राप्त होती है।
* निद्रा के समय मुख से ताम्बूल, शय्या से स्त्री, ललाट से तिलक,और सिर से पुष्प का त्याग कर देना चाहिए।
* रात्रि में पगडी बाँधकर नही सोना चाहिए।.
* दिन में कभी नही सोना चाहिए।
* दिन में और दोनों सन्ध्याओं के समय जो नींद लेता है,वह रोगी और दरिद्र होता है।
* जिसके सोते-सोते सूर्योदय अथवा सूर्यास्त हो जाय, वह महान पाप का भागी होता है।
* स्वस्थ मनुष्य को आयु की ऱक्षा के लिए ब्राह्ममुहूर्त में उठना चाहिए।
* किसी सोते हुए मनुष्य को नही जगाना चाहिए।
* विद्यार्थी, नौकर, पथिक, भूख से पीडित, भयभीत, भण्डारी, और द्वारपाल ये सोये हुए हों तो इन्हें जगा देना चाहिए।
* जूठे मुँह नही सोना चाहिए।
* रात के पहले और पिछले भाग में नींद नही लेनीचाहिए। रात के प्रथम और चतुर्थ प्रहर को छोडकर दूसरे और तीसरे प्रहर में सोना उत्तम होता है।
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