हींग का उपयोग आमतौर पर दाल-सब्जी में डालने के लिए किया जाता है इसलिए इसे `बघारनी´ के नाम से भी जाना जाता है। हींग फेरूला फोइटिस नामक पौधे का चिकना रस है। इसका पौधा 60 से 90 सेमी तक ऊंचा होता है। ये पौधे-ईरान, अफगानिस्तान, तुर्किस्तान, ब्लूचिस्तान, काबुल और खुरासन के पहाड़ी इलाकों में अधिक होते हैं। हींग के पत्तों और छाल में हलकी चोट देने से दूध निकलता है और वहीं दूध पेड़ पर सूखकर गोंद बनता हैं उसे निकालकर पत्तों या खाल में भरकर सुखा लिया जाता है। सूखने के बाद वह हींग के नाम से जाना जाता है। मगर वैद्य लोग जो हींग उपयोग में लाते हैं। वह हीरा हींग होती है और यही सबसे अच्छी होती है।
हमारे देश में इसकी बड़ी खपत है। हींग बहुत से रोगों को खत्म करती है। वैद्यों का कहना है कि हींग को उपयोग लाने से पहले उसे सेंक लेना चाहिए। चार प्रकार के हींग बाजारों में पाये जाते हैं जैसे कन्धारी हींग, यूरोपीय वाणिज्य का हींग, भारतवर्षीय हींग, वापिंड़ हींग।
हींग पुट्ठे और दिमाग की बीमारियों को खत्म करती है जैसे मिर्गी, फालिज, लकवा आदि। हींग आंखों की बीमारियों में फायदा पहुंचाती है। खाने को हजम करती है, भूख को भी बढ़ा देती है। गरमी पैदा करती है और आवाज को साफ करती हैं। हींग का लेप घी या तेल के साथ चोट और बाई पर करने से लाभ मिलता है तथा हींग को कान में डालने से कान में आवाज़ का गूंजना और बहरापन दूर होता है।
हींग जहर को भी खत्म करती है। हवा से लगने वाली बीमारियों को भी हींग मिटाती है। हींग हलकी, गर्म और और पाचक है। यह कफ तथा वात को खत्म करती है। हींग हलकी तेज और रुचि बढ़ाने वाली है। हींग श्वास की बीमारी और खांसी का नाश करती है। इसलिए हींग एक गुणकारी औषधि है।
आजकल हर घर मे कोई न कोई सदस्य किसी ना किसी बीमारी से परेशान रहता है फिर चाहे वो डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, एसिडिटी और जोड़ो का दर्द ही क्यों ना हो । वर्तमान में आधुनिक जीवनशैली, गलत खान-पान और असन्तुलित रहन सहन के कारण ये सब बीमारिया आम हो गयीं है।
और अगर आप छोटी छोटी बीमारियों में अंग्रेज़ी दवा लेने लग जाते है तो बहुत गलत करते है क्योंकि इससे आपकी किडनी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके बदले आप इन बीमारियों से बचनें के लिए आयुर्वेदिक युक्तियों का सहारा ले तो यह आपके लिए ज्यादा अच्छा होगा। हम आपको आज एकनाइसी ही आयुर्वेदिक युक्ति बताते है जिसका उपगोग कर के आप खुद को स्वस्थ रख सकते है।
आवश्यक सामग्री – गेंहु के दाने बराबर हींग और 1 गिलास पानी
बनाने की विधि और सेवन का तरिका
सबसे पहले आप 1 गिलास हल्के गुन-गुने पानी में लगभग एक गेंहु के दाने बराबर हींग को पानी में घोल ले, फिर इसका सेवन बेठकर करे। अगर आप एसिडिटी, डायबिटीज, खून की कमी और जोड़ो के दर्द से बचना चाहते है तो आप रोज़ाना सुबह हींग के पानी का सेवन करना शुरू कर दे क्योंकि इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते है जो हमारे डाइजेशन सिस्टम को ठीक करते है । सिर्फ इतना ही नहीं हींग का पानी आपकी हड्डियों और दांतों को भी मजबूत बनाता है और यह अस्थमा के रोगियों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है।
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