प्राचीन समय से ही सामाजिक जीवन में अनेक तरह की धारणाएं एवं मान्यताएं प्रचलन में चली आ रही हैं। लोक व्यवहार में इनको शगुन-अपशगुन से जोड़ कर देखा जाता है। छींक से जुड़ी ऐसी अनेक मान्यताएं हमारे समाज में प्रचलित हैं। उदाहरण के लिए घर से निकलते समय छींक आना अपशगुन माना जाता है। छींक से सम्बन्धित कुछ मान्यताएं इस प्रकार हैं---
1- घर से निकलते समय कोई सामने से छींकता है, तो कार्य में बाधा आती है। लेकिन यदि एक से अधिक बार छींकता है, तो कार्य सरलता से सम्पन्न हो जाता है।
2- कोई वस्तु क्रय करते समय यदि छींक आ जाय, तो खरीदी गई वस्तु से लाभ होता है।
3- सोने से पूर्व और जागने के तुरन्त बाद छींक की ध्वनि सुनना अशुभ माना जाता है।
4- यदि कोई व्यक्ति दिन के प्रथम प्रहर में पूर्व दिशा की ओर छींक की ध्वनि सुनता है, तो उसे अनेक कष्ट झेलने पड़ते हैं।
5- यदि कोई व्यक्ति दिन के दूसरे प्रहर में पूर्व दिशा की ओर छींक की ध्वनि सुनता है, तो उसे विभिन्न देह कष्ट मिलते हैं।
6- यदि कोई व्यक्ति दिन के तीसरे प्रहर में पूर्व दिशा की ओर छींक की ध्वनि सुनता है, तो उसे दूसरे के द्वारा स्वादिष्ट भोजन की प्राप्ति होती है।
7- यदि कोई व्यक्ति दिन के चैथे प्रहर में पूर्व दिशा की ओर छींक की ध्वनि सुनता है, तो उसका किसी मित्र से मिलन होता है।
8- किसी प्रवासी मित्र या रिस्तेदार के जाते समय कोई उसके बायीं ओर छींकता है, तो यह अपशगुन माना जाता है। यदि अति आवश्यक नहीं हो तो इस समय यात्रा को टाल देना चाहिए।
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