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Saturday, 27 February 2016

शनिवार या चतुर्दशी को यह सरल उपाय करने से हनुमान जी विघ्नों को समाप्त करके स्थिर लक्ष्मी प्रदान करते हैं



शनिवार या चतुर्दशी को एक नारियल पर सिन्दूर चढ़ाये और कलावे से उसे लपेटकर हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ाये। यह उपाय विघ्नों को समाप्त करके स्थिर लक्ष्मी प्रदान करता है। प्रयोग करते समय तन की व मन की शुद्धता जरूरी है। 



Friday, 26 February 2016

गोरा रंग पाने के लिए नहाने से पहले और खाने के बाद करें यह घरेलू उपाय



रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सोंफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है।
एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रसमिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है।

अचानक धन लाभ के लिए केले के वृक्ष पर पीले धागे से करें यह उपाय


अगर अचानक धन लाभ की स्थितियाँ बन रही हो, किन्तु लाभ नहीं मिल रहा हो, तो गोपी चन्दन की नौ डलियाँ लेकर केले के वृक्ष पर टाँग देनी चाहिए। स्मरण रहे यह चन्दन पीले धागे से ही बाँधना है।
अगर यह केले का पेड़ किसी मंदिर में लगा हो तो यह उपाय और भी अधिक फलदायक हो जाता है। 


ऋण मुक्ति के लिए शिव मंदिर में निम्नलिखित मन्त्र बोलते हुए निम्नलिखित वस्तु चढ़ाए - भोले भंडारी की कृपा से कर्ज जल्दी उतर जायगा


व्यक्ति को ऋण मुक्त कराने में यह टोटका अवश्य सहायता करेगा : मंगलवार को शिव मन्दिर में जा कर शिवलिंग पर मसूर की दाल ऋण मुक्तेश्वर महादेवाय नम:´´ मंत्र बोलते हुए चढ़ाएं। भोले भंडारी की कृपा से कर्ज जल्दी उतर जायगा 



Tuesday, 23 February 2016

लक्ष्मी प्राप्ति के लिये यह अत्यन्त दुर्लभ और रामबाण प्रयोग - पूर्व में आद्य शंकराचार्य ने इसी यंत्र के प्रभाव से स्वर्ण के आंवलों की वर्षा करवायी थी


कनकधारा यंत्र



धन प्राप्ति और धन संचय के लिए पुराणों में वर्णित कनकधारा यंत्र एवं स्तोत्र चमत्कारिक रूप से लाभ प्रदान करते हैं। इस यंत्र की विशेषता भी यही है कि यह किसी भी प्रकार की विशेष माला, जाप, पूजन, विधि-विधान की मांग नहीं करता बल्कि सिर्फ दिन में एक बार इसको पढ़ना पर्याप्त है।

साथ ही प्रतिदिन इसके सामने दीपक और अगरबत्ती लगाना आवश्यक है। अगर किसी दिन यह भी भूल जाएं तो बाधा नहीं आती क्योंकि यह सिद्ध मंत्र होने के कारण चैतन्य माना जाता है। 

यह किसी भी तंत्र-मंत्र संबंधी सामग्री की दुकान पर आसानी से उपलब्ध है। मां लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए जितने भी यंत्र हैं, उनमें कनकधारा यंत्र तथा स्तोत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली एवं अतिशीघ्र फलदायी है। 

लक्ष्मी प्राप्ति के लिये यह अत्यन्त दुर्लभ और रामबाण प्रयोग है,इस यंत्र के पूजन से दरिद्रता का नाश होता है,पूर्व में आद्य शंकराचार्य ने इसी यंत्र के प्रभाव से स्वर्ण के आंवलों की वर्षा करवायी थी। यह यंत्र रंक को राजा बनाने की सामर्थय रखता है। यह यंत्र अष्ट सिद्धि व नव निधियों को देने वाला है,इसमें बिन्दु त्रिकोण एवं दो वृहद कोण वृत्त अष्टदल वृत्त षोडस दल एव तीन भूपुर होते हैं,इस यंत्र के साथ कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना अनिवार्य होता है।

यहां प्रस्तुत है कनकधारा स्तोत्र का संस्कृत पाठ एवं हिन्दी अनुवाद। आपको सिर्फ कनकधारा यंत्र कहीं से लाकर पूजा घर में रखना है। 




।। श्री कनकधारा स्तोत्रम् ।। 

अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम।
अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।।

मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।
माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।2।।

विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।3।।

आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्।
आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया:।।4।।

बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरि‍नीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया:।।5।।

कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्।
मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया:।।6।।

प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान्मांगल्य भाजि: मधुमायनि मन्मथेन।
मध्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्द्ध मन्दालसं च मकरालयकन्यकाया:।।7।।

दद्याद दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम स्मिभकिंचन विहंग शिशौ विषण्ण।
दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण प्रणयिनी नयनाम्बुवाह:।।8।।

इष्टा विशिष्टमतयो पि यथा ययार्द्रदृष्टया त्रिविष्टपपदं सुलभं लभंते।
दृष्टि: प्रहूष्टकमलोदर दीप्ति रिष्टां पुष्टि कृषीष्ट मम पुष्कर विष्टराया:।।9।।

गीर्देवतैति गरुड़ध्वज भामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर वल्लभेति।
सृष्टि स्थिति प्रलय केलिषु संस्थितायै तस्यै ‍नमस्त्रि भुवनैक गुरोस्तरूण्यै ।।10।।

श्रुत्यै नमोस्तु शुभकर्मफल प्रसूत्यै रत्यै नमोस्तु रमणीय गुणार्णवायै।
शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुष्टयै नमोस्तु पुरूषोत्तम वल्लभायै।।11।।

नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग्धौदधि जन्म भूत्यै ।
नमोस्तु सोमामृत सोदरायै नमोस्तु नारायण वल्लभायै।।12।। 

सम्पतकराणि सकलेन्द्रिय नन्दानि साम्राज्यदान विभवानि सरोरूहाक्षि।
त्व द्वंदनानि दुरिता हरणाद्यतानि मामेव मातर निशं कलयन्तु नान्यम्।।13।।

यत्कटाक्षसमुपासना विधि: सेवकस्य कलार्थ सम्पद:।
संतनोति वचनांगमानसंसत्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे।।14।।

सरसिजनिलये सरोज हस्ते धवलमांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्।।15।।

दग्धिस्तिमि: कनकुंभमुखा व सृष्टिस्वर्वाहिनी विमलचारू जल प्लुतांगीम।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष लोकाधिनाथ गृहिणी ममृताब्धिपुत्रीम्।।16।।

कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं करुणापूरतरां गतैरपाड़ंगै:।
अवलोकय माम किंचनानां प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयाया : ।।17।।

स्तुवन्ति ये स्तुतिभिर भूमिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्। 
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो भवन्ति ते बुधभाविताया:।।18।।

।। इति श्री कनकधारा स्तोत्रं सम्पूर्णम् ।। 


कनकधारा स्तोत्रम् (हिन्दी पाठ) 

* जैसे भ्रमरी अधखिले कुसुमों से अलंकृत तमाल-तरु का आश्रय लेती है, उसी प्रकार जो प्रकाश श्रीहरि के रोमांच से सुशोभित श्रीअंगों पर निरंतर पड़ता रहता है तथा जिसमें संपूर्ण ऐश्वर्य का निवास है, संपूर्ण मंगलों की अधिष्ठात्री देवी भगवती महालक्ष्मी का वह कटाक्ष मेरे लिए मंगलदायी हो।।1।।

* जैसे भ्रमरी महान कमल दल पर मंडराती रहती है, उसी प्रकार जो श्रीहरि के मुखारविंद की ओर बराबर प्रेमपूर्वक जाती है और लज्जा के कारण लौट आती है। समुद्र कन्या लक्ष्मी की वह मनोहर मुग्ध दृष्टिमाला मुझे धन संपत्ति प्रदान करें ।।2।।

* जो संपूर्ण देवताओं के अधिपति इंद्र के पद का वैभव-विलास देने में समर्थ है, मधुहन्ता श्रीहरि को भी अधिकाधिक आनंद प्रदान करने वाली है तथा जो नीलकमल के भीतरी भाग के समान मनोहर जान पड़ती है, उन लक्ष्मीजी के अधखुले नेत्रों की दृष्टि क्षण भर के लिए मुझ पर थोड़ी सी अवश्य पड़े।।3।।

* शेषशायी भगवान विष्णु की धर्मपत्नी श्री लक्ष्मीजी के नेत्र हमें ऐश्वर्य प्रदान करने वाले हों, जिनकी पु‍तली तथा बरौनियां अनंग के वशीभूत हो अधखुले, किंतु साथ ही निर्निमेष (अपलक) नयनों से देखने वाले आनंदकंद श्री मुकुन्द को अपने निकट पाकर कुछ तिरछी हो जाती हैं।।4।।

* जो भगवान मधुसूदन के कौस्तुभमणि-मंडित वक्षस्थल में इंद्रनीलमयी हारावली-सी सुशोभित होती है तथा उनके भी मन में प्रेम का संचार करने वाली है, वह कमल-कुंजवासिनी कमला की कटाक्षमाला मेरा कल्याण करे।।5।।

* जैसे मेघों की घटा में बिजली चमकती है, उसी प्रकार जो कैटभशत्रु श्रीविष्णु के काली मेघमाला के श्यामसुंदर वक्षस्थल पर प्रकाशित होती है, जिन्होंने अपने आविर्भाव से भृगुवंश को आनंदित किया है तथा जो समस्त लोकों की जननी है, उन भगवती लक्ष्मी की पूजनीय मूर्ति मुझे कल्याण प्रदान करे।।6।

* समुद्र कन्या कमला की वह मंद, अलस, मंथर और अर्धोन्मीलित दृष्टि, जिसके प्रभाव से कामदेव ने मंगलमय भगवान मधुसूदन के हृदय में प्रथम बार स्थान प्राप्त किया था, यहां मुझ पर पड़े।।7।।

* भगवान नारायण की प्रेयसी लक्ष्मी का नेत्र रूपी मेघ दयारूपी अनुकूल पवन से प्रेरित हो दुष्कर्म (धनागम विरोधी अशुभ प्रारब्ध) रूपी धाम को चिरकाल के लिए दूर हटाकर विषाद रूपी धर्मजन्य ताप से पीड़ित मुझ दीन रूपी चातक पर धनरूपी जलधारा की वृष्टि करें।।8।। 

* विशिष्ट बुद्धि वाले मनुष्य जिनके प्रीति पात्र होकर जिस दया दृष्टि के प्रभाव से स्वर्ग पद को सहज ही प्राप्त कर लेते हैं, पद्‍मासना पद्‍मा की वह विकसित कमल-गर्भ के समान कांतिमयी दृष्टि मुझे मनोवांछित पुष्टि प्रदान करें।।9।।

* जो सृष्टि लीला के समय वाग्देवता (ब्रह्मशक्ति) के रूप में विराजमान होती है तथा प्रलय लीला के काल में शाकम्भरी (भगवती दुर्गा) अथवा चन्द्रशेखर वल्लभा पार्वती (रुद्रशक्ति) के रूप में अवस्थित होती है, त्रिभुवन के एकमात्र पिता भगवान नारायण की उन नित्य यौवना प्रेयसी श्रीलक्ष्मीजी को नमस्कार है।।10।।

* मात:। शुभ कर्मों का फल देने वाली श्रुति के रूप में आपको प्रणाम है। रमणीय गुणों की सिंधु रूपा रति के रूप में आपको नमस्कार है। कमल वन में निवास करने वाली शक्ति स्वरूपा लक्ष्मी को नमस्कार है तथा पुष्टि रूपा पुरुषोत्तम प्रिया को नमस्कार है।।11।।

* कमल वदना कमला को नमस्कार है। क्षीरसिंधु सभ्यता श्रीदेवी को नमस्कार है। चंद्रमा और सुधा की सगी बहन को नमस्कार है। भगवान नारायण की वल्लभा को नमस्कार है। ।।12।। 

* कमल सदृश नेत्रों वाली माननीय मां ! आपके चरणों में किए गए प्रणाम संपत्ति प्रदान करने वाले, संपूर्ण इंद्रियों को आनंद देने वाले, साम्राज्य देने में समर्थ और सारे पापों को हर लेने के लिए सर्वथा उद्यत हैं, वे सदा मुझे ही अवलम्बन दें। (मुझे ही आपकी चरण वंदना का शुभ अवसर सदा प्राप्त होता रहे)।।13।।

* जिनके कृपा कटाक्ष के लिए की गई उपासना उपासक के लिए संपूर्ण मनोरथों और संपत्तियों का विस्तार करती है, श्रीहरि की हृदयेश्वरी उन्हीं आप लक्ष्मी देवी का मैं मन, वाणी और शरीर से भजन करता हूं।।14।। 

* भगवती हरिप्रिया! तुम कमल वन में निवास करने वाली हो, तुम्हारे हाथों में नीला कमल सुशोभित है। तुम अत्यंत उज्ज्वल वस्त्र, गंध और माला आदि से सुशोभित हो। तुम्हारी झांकी बड़ी मनोरम है। त्रिभुवन का ऐश्वर्य प्रदान करने वाली देवी, मुझ पर प्रसन्न हो जाओ।।15।। 

* दिग्गजों द्वारा सुवर्ण-कलश के मुख से गिराए गए आकाश गंगा के निर्मल एवं मनोहर जल से जिनके श्री अंगों का अभिषेक (स्नान) संपादित होता है, संपूर्ण लोकों के अधीश्वर भगवान विष्णु की गृहिणी और क्षीरसागर की पुत्री उन जगज्जननी लक्ष्मी को मैं प्रात:काल प्रणाम करता हूं।।16।। 

* कमल नयन केशव की कमनीय कामिनी कमले! 
मैं अकिंचन (दीन-हीन) मनुष्यों में अग्रगण्य हूं, अतएव तुम्हारी कृपा का स्वाभाविक पात्र हूं। तुम उमड़ती हुई करुणा की बाढ़ की तरह तरंगों के समान कटाक्षों द्वारा मेरी ओर देखो।।17।।

* जो मनुष्य इन स्तु‍तियों द्वारा प्रतिदिन वेदत्रयी स्वरूपा त्रिभुवन-जननी भगवती लक्ष्मी की स्तुति करते हैं, वे इस भूतल पर महान गुणवान और अत्यंत सौभाग्यशाली होते हैं तथा विद्वान पुरुष भी उनके मनोभावों को जानने के लिए उत्सुक रहते हैं।।18।

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पेड़ पर पैसे नहीं सोना उगाते थे प्राचीन हिन्दू ऋषि - मुनि - श्वेतार्क तन्त्र में वर्णित स्वर्ण निर्माण क्रिया




जी हाँ - आप इसे बकवास समझे या कुछ और लेकिन यह सच है की प्राचीन हिन्दू ऋषि मुनियों के पास अनको सिद्धियाँ थी और वे पेड़ पर सोना उगाने की विधि जानते भी थे और उगाते भी थे इस पूरी साधना में ५ से १० वर्षों का समय लगता था यह प्रयोग आज भी किये जा सकते हैं।  यहाँ प्रस्तुत है श्वेतार्क तन्त्र में वर्णित स्वर्ण निर्माण की विधि।









Monday, 22 February 2016

विभिन्न पुराणों के अनुसार तुलसी पत्र तोड़ने के नियम

।।तुलसी ग्रहण विचार।।


देवयाज्ञिककृत स्मृतिसार में कहा गया है कि- वैधृति में, व्यतीपात में,मंगलवार में,शुक्रवार में,अमावस्या और पूर्णिमा में ,संक्रान्ति में ,द्वादशी तिथि में,जननाशौच तथा मरणशौच में जो तुलसी को तोड़ते हैं वे हरि के शिर का छेदन करते हैं।
विष्णुधर्मोत्तरे-
रविवारं विना दूर्वां तुलसी द्वादशी विना
जीवितस्याविनाशाय प्रविचिन्वीत धर्मवित्
अगर अपने जीवन का विनाश नही चाहते हैं तो धर्मवेत्ता पुरुष रविवार को दूर्वा और द्वादशी तिथि को तुलसी को न तोड़े।
तथा संक्रान्ति ,रविवार पक्षान्त(अमावस्या और पूर्णिमा) द्वादशी रात्रि तथा संध्या में जो तुलसी पत्र का छेदन करते हैं वे हरि के शिर का छेदन करते हैं।
पद्मपुराण में कहा गया है कि - द्वादशी तिथि में तुलसीपत्र को तथा कार्तिक मास में आंवले के पत्ते को जो छेदन करता है अर्थात तोड़ता है तो वह मनुष्य नरकों मे जाता है।
रुद्रयामल में कहा गया है कि- द्वादशी तिथि में दिन में शयन करना ,तुलसी का छेदन करना तथा विष्णु को दिन में स्नान कराना सदा विद्वान को त्याग देना चाहिए।।
विष्णुधर्मोत्तर मे कहा है- वैष्णव ब्राह्मण कभी भी द्वादशी तिथि को तुलसी का छेदन न करे ।देवता के कार्य के लिए तुलसी छेदन ,होम के लिए समिधाओं को और गौ के लिए तृण का छेदन अमावस्या में दूषित नही होता।


सावधान निम्नलिखित बुरे कामों को करने से निम्नलिखित ग्रह देने लगते है अशुभ फल

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आपके रिश्तों का आपके ग्रहों से सम्बन्ध ..🌾
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🌺प्रत्येक जातक की कुंडली में अशुभ ग्रहों की स्थिति अलग-अलग रहती है, परंतु कुछ कर्मों के आधार पर भी ग्रह आपको अशुभ फल देते हैं।
🏵 व्यक्ति के कर्म-कुकर्म के द्वारा किस प्रकार नवग्रह के अशुभ फल प्राप्त होते हैं, 
आइए जानते हैं :
🌸चंद्र : सम्मानजनक स्त्रियों को कष्ट देने जैसे, माता, नानी, दादी, सास एवं इनके पद के समान वाली स्त्रियों को कष्ट देने एवं किसी से द्वेषपूर्वक ली वस्तु के कारण चंद्रमा अशुभ फल देता है।
🌸बुध : अपनी बहन अथवा बेटी को कष्ट देने एवं बुआको कष्ट देने, साली एवं मौसी को कष्ट देने से बुध अशुभ फल देता है। इसी के साथ हिजड़े को कष्ट देने पर भी बुध अशुभ फल देता है।
🌸गुरु : अपने पिता, दादा, नाना को कष्ट देने अथवा इनके समान सम्मानित व्यक्ति को कष्ट देने एवं साधु संतों को कष्ट देने से गुरु अशुभ फल देता है।
🌸सूर्य : किसी का दिल दुखाने (कष्ट देने), किसी भी प्रकार का टैक्स चोरी करने एवं किसी भी जीव की आत्मा को ठेस पहुँचाने पर सूर्य अशुभ फल देता है।
🌸शुक्र : अपने जीवनसाथी को कष्ट देने, किसी भी प्रकार के गंदे वस्त्र पहनने, घर में गंदे एवं फटे पुराने वस्त्र रखने से शुभ-अशुभ फल देता है।
🌸मंगल : भाई से झगड़ा करने, भाई के साथ धोखा करने से मंगल के अशुभ फल शुरू हो जाते हैं। इसी के साथ अपनी पत्नी के भाई (साले) का अपमान करने पर भी मंगल अशुभ फल देता है।
🌸शनि : ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतम करने वाले व्यक्ति को कष्ट देने, अपशब्द कहने एवं इसी के साथ शराब, माँस खाने पीने से शनि देव अशुभ फल देते हैं।कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहीं करते अथवा उसके बदले पैसा माँगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है।
🌸राहु : राहु सर्प का ही रूप है अत: सपेरे का दिलदुखाने से, बड़े भाई को कष्ट देने से अथवा बड़े भाई का अपमान करने से, ननिहाल पक्ष वालों का अपमान करने से राहु अशुभ फल देता है।
🌸केतु : भतीजे एवं भांजे का दिल दुखाने एवं उनका हक छीनने पर केतु अशुभ फल देना है।कुत्ते को मारने एवं किसी के द्वारा मरवाने पर, किसी भी मंदिर को तोड़ने अथवा ध्वजा नष्ट करने पर इसी के साथ ज्यादा कंजूसी करने पर केतु अशुभ फल देता है।
▶▶किसी से धोखा करने व झूठी गवाही देने पर भी राहु-केतु अशुभ फल देते हैं।
🙏🏻🌺अत: मनुष्य को अपना जीवन व्यवस्थित जीना चाहिए। किसी को कष्ट या छल-कपट द्वारा अपनी रोजी नहीं चलानी चाहिए। किसी भी प्राणी को अपने अधीन नहीं समझना चाहिए जिससे ग्रहों के अशुभ कष्ट सहना पड़े।






जानिए गाय के दो मुँह वाले बछड़े के बारे में - पढ़िये पूरी जानकारी



भोपाल। मप्र के होशंगाबाद जिले में एक गाय के दो मुंह

 के बछड़े को जन्म देने के बाद देखने वालों की भीड़ 

लग गई। जन्म की खबर गांव समेत पूरे जिले में आग

 की तरह फैल गई। बस फिर क्या था, लोग अगरबत्ती 

समेत अन्य पूजन सामग्री लेकर बछड़े की पूजा के लिए

 पहुंचने लगे। हालांकि वह अधिक समय जीवित नहीं

रह पाया। होने लगी पूजा...


होशंगाबाद जिले की इटारसी तहसील से करीब 15 

किमी दूर नयागांव है। नयागांव के रहने वाले किसान 

मोहन यादव के घर गाय पाली हुई है।मोहन यादव ने 

बताया कि दोपहर को गाय ने एक बछड़े को जन्म दिया

 है। इसकी खबर लगते ही गांव समेत आसपास के लाेग

 यादव के घर जुटना शुरू हो गए। लोगों के लिए यह 

कौतहूल का विषय बन गया। इसके बाद लोगों ने इसे 

भगवान मानकर पूजा करनी शुरू कर दी। हालांकि रात

 को उसकी मौत हो गई। 



यदि किसी लड़की की उचित आयु हो जाने पर भी विवाह नही हो तो करें माता पार्वती के यह दो सरल उपाय



यदि किसी लड़की की उचित आयु हो जाने पर भी विवाह नही हो पा रहा हो तो इसके लिए उस लड़की को सफेद कनेर के फूलों से माँ पारवती की पूजा करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि माता पर्वती को कनेर के फूल अत्यंत प्रिय हैं इसलिए इन फूलों से पूजा करने पर वह शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं। 


यदि किसी लड़की की उचित आयु हो जाने पर भी विवाह नही हो पा रहा हो तोउसे प्रतिदिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत्त होकर माता पार्वती के चित्र के सामने दीपक जलाना चाहिए और तुलसी की माला से निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिए। मन्त्र इस प्रकार है :-

हे गौरी शंकरा अर्द्धांगिनी यथा त्वं शंकर प्रिया। 
तथा मां कुरु कल्याणी कान्त कान्ता सुदुर्लभाम्।। 



इस प्रकार उक्त मन्त्र का एक माला यानी १०८ बार जाप करने से माता पार्वती प्रसन्न होकर कन्या को शीघ्र ही उत्तम वर प्रदान करती हैं। 

ऐसा बलशाली मन्त्र जो शत्रु को भी मित्र बना दे - किसी को भी वश में करने का प्रमाणित व बलशाली मन्त्र


शत्रु को मित्रवत बनाना हो , अधिकारी से मनोनुकूल कार्य करवाना हो , पति - पत्नी में मतभेद हो या किसी अन्य को नियंत्रण में करना हो तो शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार को प्रातः स्नान कर चाँदी की एक थाली में मोती शंख को गंगा जल से धो कर रख दें।  तत्पश्चात इस पर कुमकुम लगा दें।  शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें।  स्फटिक माला से निम्न मन्त्र का एक माला जप करें।  यह प्रयोग एक माह नियमित रूप से करें। जल्द ही मनोवांछित सफलता प्राप्त होगी।  यह अत्यधिक बलशाली प्रयोग है , परन्तु पूर्ण श्रद्धा आवस्यक है।  मन्त्र इस प्रकार है :-

"ॐ फ्रीं वांछितं में वशमानय स्वाहा। " 



Sunday, 21 February 2016

बार - बार बीमार हो जाते हों तो एक रूपये के सिक्के का यह सरल उपाय आपको हरदम रखेगा स्वस्थ


अगर आप जल्दी - जल्दी बीमार हो जाते हों या बच्चे बार - बार बीमार हो जाते हों तो एक रूपये का सिक्का रात्रि को सिरहाने रखकर सो जाएं। प्रातः स्नान आदि करके इस सिक्के को शमशान की सीमा में फेंक आये पीछे मुड़कर नही देखें।  शरीर स्वस्थ रहेगा और बीमारी आसानी से नहीं घेरेगी। 

परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने का डर सताता हो तो परीक्षा में सफलता पाने के लिए परीक्षा कक्ष में जाने से पहले करें शिव जी का यह सरल उपाय - परीक्षार्थी के माता-पिता भी कर सकते हैं


यदि आपकी परीक्षाएं चल रही हों एवं याद करके भूल जाते हों या परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने का डर सताता हो तो बाजार से भाँग की पत्ती क्रय कर लाएं। उसे पीस कर पानी में छान लें। फिर उस घोल में थोड़ी शक्कर मिलाये तथा परीक्षा देने जाने से पूर्व शिव जी के मंदिर में जाकर इस घोल को शिव जी पर चढ़ाये।  ऐसा नियमित तब तक करें जब तक समस्त परीक्षाएं समाप्त नही हो जाती। 

सावधानी :-  भाँग में काली मिर्च नही होनी चाहिए तथा भाँग चढ़ाने के बाद स्वयं शिव जी पर जल नही चढ़ाए।  यह नियम भंग  नही हो इसके लिए विद्यार्थियों के माता -पिता , भाई - बहन आदि भी परीक्षार्थी के लिए यह प्रयोग मन में संकल्प करके कर सकते हैं।  यदि यह प्रयोग सोमवार से आरम्भ करें तो अतिउत्तम रहता है।

बुरे स्वप्न को निष्फल करने तथा मानसिक तनाव दूर करने के लिए गुलाब के पौधे से करें यह सबसे सरल और प्रभावशाली उपाय



यदि परिवार में कोई भी सदस्य मानसिक तनाव से ग्रस्त हो उसे पलंग पर लेटने के बाद अपने इष्ट का मानसिक रूप से स्मरण करना चाहिए।  धीरे - धीरे तनाव दूर होने लगेगा।  साथ ही यदि रात्रि में बुरे सपने आते हों तो एक पात्र में पानी सिरहाने रखकर सोना चाहिए।  प्रातः उस पानी को गुलाब या किसी अन्य कांटे वाले पौधे  में डाल दें। मन ही  मन ग्यारह बार माधव - माधव का जप करें इस उपाय से दुःस्वप्न निष्फल हो जायगा। 


मोटापा घटाने का अचूक उपाय - बिना परहेज - बिना व्यायाम - बिना खर्च



मोटापा कम करने हेतु दायें हाँथ की अनामिका अंगुली में काला धागा लपेटें तथा रांगे की अंगूठी से उसे ढक लें तो मोटापा घटने लगता है , उपाय के पंद्रह से बीस दिनों में आपको फर्क मालूम होने लगना चाहिए। 

Saturday, 20 February 2016

प्रेम प्राप्ति या सम्मोहन के लिए रविवार को करें यह सरलतम एवं तत्काल फलदायक उपाय



'रविपुष्य' के दिन , प्रातः शुभ मुहूर्त में गूलर की जड़ ले आएं। घर लाकर इसे विधिवत स्नान कराएं और फिर इसकी धूप - दीप से पूजा करें।  उस पर सिंदूर , कपूर , लौंग , इलाइची , मुद्रा आदि चढ़ाना चाहिए।  पूजन के उपरान्त निम्नलिखित मन्त्र का ११ माला जप करें  :-

" ॐ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।  " 

जप के पश्चात यही मन्त्र पढ़ते हुए २१ आहुतियां देकर हवन करें और किन्ही १ या २ बालक - बालिका को भोजन और दक्षिणा दें। 

उसके बाद उसे चंदन की भाँति घिसें और वह लेप माथे पर लगाएं।  ऐसा लेप (माथे पर लगाया गया तिलक ) व्यक्ति में ऐसा  सम्मोहनकारी प्रभाव उत्पन्न कर देता है की वह सर्वत्र प्रेम , प्रसंशा , स्नेह और आदर का पात्र बन जाता है तथा किसी को भी सम्मोहित करने में सक्षम हो जाता है।  

दिव्य द्रष्टि दायक गुप्त धन को द्रष्टिगोचर कराता है यह अतिविशिष्ट प्रयोग - छुपे या गड़े धन की जानकारी के लिए रविवार को करें यह अतिविशेष उपाय



रविवार या मंगलवार या रविपुष्य योग में यह प्रयोग करे - अंकोल के तेल में (अंकोल  को ' अंकोहर ' भी कहते हैं , इसके बीजों से तेल निकाला जाता है ) गुज्जा - मूल को घिसकर आँखों में काजल की भाँति लगाएं।  यह अंजन दिव्य द्रष्टि दायक होता है और यदि पृथ्वी में आस पास ही कोई गुप्त धन गड़ा हुआ है तो वह इस प्रयोग से दिखाई देने लगता है। जो लोग पुराने घरों में रहते हैं या जिनके पूर्वजों के पास पर्याप्त सोना - चांदी था वो इस प्रयोग को करके घर में छुपे धन का आसानी से पता लगा सकते सकते हैं क्युंकि पुराने ज़माने में लोग चोर लुटेरों के डर से बहुमूल्य रत्न व सोना - चांदी जमीन में गाड़ देते थे। 

छोटा सा बरगद का पौधा भी बना सकता है आपको धनवान - पढ़े यह दुर्लभ एवं अतिरोचक और अति सरल उपाय


बरगद के वृक्ष की छाया में यदि कोई अन्य पौधा भी, छोटा बरगद का ही , पनप रहा हो तो उसे साधक अपने घर में लाकर लगाये तथा नियमित जल देकर पूर्ण देख रेख करे तो जिस गति से वह पौधा बढ़ता जायगा , वैसे - वैसे ही साधक की आर्थिक स्थिति में अनुकूल परिवर्तन होता जायगा। अगर आप पौधा गमले में लगाते हैं तो एक स्थिति ऐसी आयगी की गमला पौधे के लिए छोटा पड़ जायगा तब उस पौधे को कहीं बाग - बगीचे में लगा दें और अपने लिए उसी प्रकार नया पौधा प्राप्त करके पुनः लगा लें। 


सिन्दूर लगे हनुमान जी की मूर्ति का सिन्दूर लेकर करें यह उपाय पूरी होंगी सभी मनोकामनायें


सिन्दूर लगे हनुमान जी की मूर्ति का सिन्दूर लेकर सीता जी के चरणों में लगाएँ। फिर माता सीता से एक श्वास में अपनी कामना निवेदित कर भक्ति पूर्वक प्रणाम कर वापस जाएँ। इस प्रकार कुछ दिन करने पर सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।


Friday, 19 February 2016

शनिवार को पाँच बादाम इस तरह लाल कपड़े में निम्नलिखित प्रयोग करके रख दें - आर्थिक प्रगति का मार्ग स्वतः प्रशस्त होगा



शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को दस बादाम लेकर हनुमान जी के मंदिर में जाएं तथा पूजा के पश्चात हनुमान जी पर अर्पित किये बादामों में से पाँच बादाम लेकर घर में लाल कपड़े में बाँधकर , धन रखने के स्थान पर रख दें। इस प्रयोग से आर्थिक प्रगति का मार्ग स्वतः प्रशस्त होता है परन्तु आवश्कयता है संशयरहित विश्वास की , आस्था एवं श्रद्धा की। 


अगर आपकी प्रथम संतान पुत्र है तो यह अतिविशिष्ट उपाय आपको बना सकता है कुबेर के सामान धनवान - अतिरोचक और अति दुर्लभ जानकारी


यदि किसी व्यक्ति के घर में प्रथम संतान पुत्र है तो पुत्रजन्म के उपरांत, बालक के दाँत गिरते समय माता - पिता विशेष ध्यान रखें कि पुत्र के दाँत निकलकर जब गिरने की स्थिति में हों तो उन्हें धरती पर गिरने से पूर्व ही दाँत को हाथ में ले लें और उसको सुरक्षित और शुद्ध स्थान पर रख दें तथा भविष्य में जब बृहस्पति के दिन पुष्य नक्षत्र पड़े तब उस दाँत को गंगाजल से शुद्ध कर उसकी पूजा के उपरान्त चांदी की डिब्बी में धन रखने के स्थान पर रख दे।  अब पुत्र के जन्म नक्षत्र के दिन प्रत्येक मास में दाँत को सूर्य देव के दर्शन कराकर पुनः गंगाजल से शुद्ध करके व पूजा करके यथास्थान रख दें।  यह प्रयोग अपनी विशिष्टता के अनुरूप ही विशेष लाभ प्रदान करने वाला है।  ध्यान रहे की बालक के दाँत का धरती से स्पर्श सर्वथा वर्जित है।



कर्पूर का यह सरल प्रयोग दिलाता है अटका धन वापस


यदि कोई व्यक्ति धन नही लौटा रहा हो तो कर्पूर के सूखे काजल से उसका नाम भोजपत्र पर लिख कर किसी भारी वस्तु के नीचे दबा कर रखना चाहिए। इस सांकेतिक साधना के फलस्वरूप वह व्यक्ति स्वयं ही धन वापस कर देगा।  यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के किसी सिद्ध मुहूर्त में करें। प्रयोग करने के बाद धैर्य पूर्वक प्रतीक्षा करें यह प्रयोग सफलता निश्चित रूप से देता है।


शुक्रवार को बंद ताले से खोलें अपनी किस्मत और धन प्राप्ति के मार्ग - अत्यंत सरल व प्रामाणिक उपाय


किसी भी शुक्रवार को संध्याकाल में एक नया ताला क्रय करें तथा ताले को खोलें नहीं ताला ठीक है या नहीं जांचने के लिए भी नहीं इसके उपरांत ताले को साधक अपने शयन कक्ष में रख दे।  अगले दिन शनिवार की संध्याकाल में उस ताले को लेकर किसी मंदिर में जाएं , पूजा - अर्चना करने के बाद उस ताले को मंदिर में ही छोड़ दें। मंदिर का  पुजारी जब भी उस ताले को खोलेगा या प्रयोग करेगा आपका भाग्य भी उसी क्षण  खुल जायगा और साधक को तत्काल माँ लक्ष्मी की कृपा दृष्टि प्राप्त होगी।

Thursday, 18 February 2016

अगर आपका बच्चा पढ़ाई में है कमजोर तो गुरूवार को करें यह उपाय




शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार को सूर्यास्त से ठीक आधा घंटा पहले बड़ के पत्ते पर पांच अलग-अलग प्रकार की मिठाईयां तथा दो छोटी इलायची पीपल के वृक्ष के नीचे श्रद्धा भाव से रखें और अपनी शिक्षा के प्रति कामना करें। पीछे मुड़कर न देखें, सीधे अपने घर आ जाएं। इस प्रकार बिना क्रम टूटे तीन बृहस्पतिवार करें। यह उपाय माता-पिता भी अपने बच्चे के लिये कर सकते हैं

Sunday, 14 February 2016

सौन्दर्य, सौभाग्य और सेहत प्राप्ति के लिए सरल मंत्र


"  देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि मे परमं सुखम 
रूपम् देहि़ जयम् देहि यशो देहि द्विषो जहि। "

उपरोक्त मंत्र की एक माला प्रतिदिन जपने से प्राकृतिक रूप से सौंदर्य में वृद्धि होती है एवं सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति भी होती है।  जप किसी शुभ मुहर्त से आरम्भ करना चाहिए और कम से कम एक माला प्रतिदिन करना चाहिए। 






श्रीकृष्ण का यह सरल मंत्र - दिलाता है अटका धन वापस



'कृं कृष्णाय नमः'

यह श्रीकृष्ण का मूलमंत्र है। इस मूलमंत्र का जाप अपना सुख चाहने वाले प्रत्येक मनुष्य को प्रातःकाल नित्यक्रिया व स्नानादि के पश्चात एक सौ आठ बार करना चाहिए। ऐसा करने वाले मनुष्य सभी बाधाओं एवं कष्टों से सदैव मुक्त रहते हैं। इस मंत्र से कहीं भी अटका धन तुरंत प्राप्त होता है। 

धन प्राप्ति के लिए हनुमानजी के विशेष टोटके



रामभक्त हनुमानजी चमत्कारिक सफलता देने वाले देवता माने गए हैं। मंगलवार अथवा शनिवार के दिन उनके टोटके विशेष रूप से धन प्राप्ति के लिए किए जाते हैं। साथ ही यह टोटके हर प्रकार का अनिष्ट भी दूर करते हैं।

- पीपल के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें। फिर वापस घर आ जाएं एवं पीछे मुड़कर न देखें। धन लाभ होगा। 

अगर धन लाभ की स्थितियां बन रही हो, किन्तु फिर भी लाभ नहीं मिल रहा हो, तो मंगलवार या हनुमान जयंती के दिन गोपी चंदन की नौ डलियां लेकर केले के वृक्ष पर टांग देनी चाहिए। स्मरण रहे यह चंदन पीले धागे से ही बांधना है।

- एक नारियल पर कामिया सिन्दूर, मौली, अक्षत अर्पित कर पूजन करें। फिर हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएं। धन लाभ होगा।

- कच्ची धानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें। संकट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा।

Saturday, 13 February 2016

शनिवार को बरगद के पत्ते पर इस तरह लिख दें अपनी इच्छा तो मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है


किसी शनिवार को, यदि उस दिन `सर्वार्थ सिद्धि योगहो तो अति उत्तम सांयकाल अपनी लम्बाई के बराबर लाल रेशमी सूत नाप लें। फिर एक पत्ता बरगद का तोड़ें। उसे स्वच्छ जल से धोकर पोंछ लें। तब पत्ते पर अपनी कामना रुपी नापा हुआ लाल रेशमी सूत लपेट दें और पत्ते को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग से सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं और कामनाओं की पूर्ति होती है।



Friday, 12 February 2016

विद्या प्राप्ति का यंत्र



इस यंत्र को शुभ मुहूर्त में चांदी या कांस्य की थाली में, केसर की स्याही से, अनार की कलम से लिखकर सविधि पूजन करके माता सरस्वतीजी की आरती करें। यंत्राकिंत कांस्य थाली में भोजन परोसकर श्री सरस्वत्यै स्वाहा, भूपतये स्वाहा, भुवनपतये स्वाहा, भूतात्मपतये स्वाहा 4 ग्रास अर्पण करके स्वयं भोजन करें। याद रहे, यंत्र भोजन परोसने से पहले धोना नहीं चाहिए। इसी प्रकार 14 दिनों तक नित्य करने से यंत्र प्रयोग मस्तिष्क में स्नायु तंत्र को सक्रिय (चैतन्य) करता है और मनन करने की शक्ति बढ़ जाती है। धैर्य, मनोबल व आस्था की वृद्धि होती है और मस्तिष्क काम करने के लिए सक्षम हो जाता है। स्मरण शक्ति बढ़ती है और विद्या वृद्धि में प्रगति स्वयं होने लगती है।

बार-बार धन हानि हो रही हो तों करें यह सरल उपाय



घर में बार-बार धन हानि हो रही हो तों वीरवार को घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़क कर गुलाल पर शुद्ध घी का दोमुखी (दो मुख वाला) दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय मन ही मन यह कामना करनी चाहिए की `भविष्य में घर में धन हानि का सामना करना पड़े´ जब दीपक शांत हो जाए तो उसे बहते हुए पानी में बहा देना चाहिए।