'रविपुष्य' के दिन , प्रातः शुभ मुहूर्त में गूलर की जड़ ले आएं। घर लाकर इसे विधिवत स्नान कराएं और फिर इसकी धूप - दीप से पूजा करें। उस पर सिंदूर , कपूर , लौंग , इलाइची , मुद्रा आदि चढ़ाना चाहिए। पूजन के उपरान्त निम्नलिखित मन्त्र का ११ माला जप करें :-
" ॐ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। "
जप के पश्चात यही मन्त्र पढ़ते हुए २१ आहुतियां देकर हवन करें और किन्ही १ या २ बालक - बालिका को भोजन और दक्षिणा दें।
उसके बाद उसे चंदन की भाँति घिसें और वह लेप माथे पर लगाएं। ऐसा लेप (माथे पर लगाया गया तिलक ) व्यक्ति में ऐसा सम्मोहनकारी प्रभाव उत्पन्न कर देता है की वह सर्वत्र प्रेम , प्रसंशा , स्नेह और आदर का पात्र बन जाता है तथा किसी को भी सम्मोहित करने में सक्षम हो जाता है।
No comments:
Post a Comment